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बेरोजगारी बढ़ने, खपत घटने से बढ़ रहा है आर्थिक संकट, चिदंबरम का सरकार पर निशाना

उच्च सदन में 2020-21 के लिए केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने कहा कि सरकार को अक्षम डाक्टर बताया.

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Dhirendra Kumar
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बेरोजगारी बढ़ने, खपत घटने से बढ़ रहा है आर्थिक संकट, चिदंबरम का सरकार पर निशाना

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram)( Photo Credit : फाइल फोटो)

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6 साल से अर्थव्यवस्था (Economy) का प्रबंधन करने के बावजूद इसकी कमियों के लिए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को हर चीज के लिए दोषी बताने के कारण भाजपा नीत राजग सरकार आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने सोमवार को दावा किया कि बेरोजगारी (Unemployment) लगातार बढ़ने और खपत कम होने से देश के सामने अर्थ संकट बढ़ रहा है.

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सरकार को ‘‘अक्षम डाक्टर’’ बताया
उच्च सदन में 2020-21 के लिए केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने कहा कि सरकार को ‘‘अक्षम डाक्टर’’ बताया और देश में भय और अनिश्चितता का माहौल है, ऐसे में कोई निवेश क्यों करेगा. नोटबंदी (Demonization) को बड़ी भूल करार देते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार अपनी गलतियां मानने से इंकार कर देती है. उन्होंने कहा ‘‘जल्दबाजी में, बिना किसी तैयारी के माल एवं सेवा कर (GST) को कार्यान्वित कर देना दूसरी बड़ी भूल थी.

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इसकी वजह से आज अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तबाह हो गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘‘मैंने वित्त मंत्री का पूरा बजट (Budget 2020) भाषण सुना था जो 116 मिनट तक चला था. इस बात की खुशी हुई कि उन्होंने पूरे बजट भाषण में एक बार भी यह नहीं कहा कि अच्छे दिन आने वाले हैं. वह खोखले वादे भूल गईं, यह अच्छा रहा. चिदंबरम ने कहा कि सरकार लगातार नकारते रही है लेकिन सच तो यह है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत बुरी है.

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पिछली 6 तिमाही में GDP ग्रोथ लगातार कम हुई
उन्होंने कहा कि पिछली छह तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर लगातार कम हुई है. पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और खपत लगातार कम हो रही है जिसकी वजह से देश के सामने अर्थ संकट बढ़ रहा है. उन्होंने कहा ‘‘सरकार का मानना है कि समस्या क्षणिक है लेकिन आर्थिक सलाहकारों का मानना है कि ढांचागत समस्या अधिक है. दोनों ही हालात में समाधान अलग अलग होंगे. किंतु पूर्व से तय मानसिकता के चलते आप स्वीकार ही नहीं करना चाहते कि आर्थिक हालात बदतर हैं.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) सरकार की आर्थिक सोच का परिचायक होता है. यह राष्ट्र के लिए बहस की जमीन तैयार करता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि बजट में आर्थक सर्वेक्षण का जिक्र ही नही है. होना तो यह चाहिए था कि बजट में आर्थिक सर्वेक्षण के अच्छे विचार लिए जाते, उन पर चर्चा की जाती और वित्त मंत्री कहतीं कि इन्हें बाद में ही सही, लागू किया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

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उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की अभी तक यह प्रवृत्ति रही है कि वह हर चीज के लिए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर दोष मढ़ देती है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही होता तो मनमोहन सिंह सरकार सारा दोष अटल बिहारी वाजपेयी सरकार पर और वाजपेयी सरकार को हर समस्या का दोष पीवी नरसिंह राव सरकार पर मढ़ देना चाहिए था. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार छह साल से अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर रही है और उसे अब तक अपनी जिम्मेदारी माननी चाहिए.

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