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आर्थिक तेजी में सुधार, तीसरी, चौथी तिमाही में होगा पॉजिटिव ग्रोथ रेट: आशिमा गोयल

गोयल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, ‘हम देख रहे हैं कि अब लगातार यह सहमति बन रही है कि वृद्धि दर में गिरावट दो अंक से कम रहेगी. सितंबर में अनलॉक 4 से आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) की बाधाएं दूर हुई हैं और गतिविधियां तेजी से रफ्तार पकड़ रही हैं.

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Ravindra Singh
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RBI

आरबीआई( Photo Credit : एएनआई ट्विटर)

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भारत की वृहद आर्थिक स्थिति तेजी से सुधर रही है और चालू वित्त वर्ष (2020-21) की तीसरी और चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर सकारात्मक रहेगी. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री आशिमा गोयल (Ashima Goyal) ने रविवार को यह बात कही. गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रबंधन और लॉकडाउन (Lock Down) को धीरे-धीरे उठाने से महामारी को उच्चस्तर पर पहुंचने से रोकने में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि विभिन्न एजेंसियां वृद्धि के अनुमान में लगातार बदलाव कर रही हैं.

गोयल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, ‘हम देख रहे हैं कि अब लगातार यह सहमति बन रही है कि वृद्धि दर में गिरावट दो अंक से कम रहेगी. सितंबर में अनलॉक 4 से आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) की बाधाएं दूर हुई हैं और गतिविधियां तेजी से रफ्तार पकड़ रही हैं. तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर सकारात्मक रहेगी.’

RBI की  MPC की सदस्य नियुक्त हुई हैं आशिमा गोयल
गोयल को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) का सदस्य नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि कई सुधारों के मोर्चों पर प्रगति हुई है, इससे दीर्घावधि की वृद्धि दर को टिकाऊ करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘भारत की विविधता तथा जुझारू क्षमता के अलावा अधिशेष तरलता से स्थिति सुधर रही है. काफी समय तक तरलता का संकट रहा, लेकिन अब यह आसानी से उपलब्ध है.’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि वह यह साक्षात्कार व्यक्तिगत हैसियत से दे रही हैं.

ज्यादा दिनों के लिए नहीं है खुदरा मुद्रास्फीति
ऊंची खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) पर गोयल ने कहा कि इसकी वजह आपूर्ति पक्ष के कारक मसलन बेमौसम बरसात आदि हैं. लेकिन आपूर्ति पक्ष की बाधाएं अधिक समय तक नहीं रहेंगी. उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा दीर्घावधि के बदलाव हैं, जिनसे मुद्रास्फीति घटेगी.’ इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (IGIDR) में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर गोयल ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक ने कई शानदार उपाय किए हैं, जिन्हें समय के हिसाब से प्रतिकूल प्रभाव के बिना पलटा जा सकता है.’

महामारी की वजह से सरकार ने किया ज्यादा खर्च 
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि सरकार शुद्ध मांग को प्रोत्साहन उपलब्ध करा रही है. हालांकि, राजस्व घटा (Fiscal Deficit) है, लेकिन सरकार अधिक खर्च कर रही है. गोयल ने कहा, ‘राजकोषीय घाटा पहले ही बजट अनुमान के पार चला गया है. केंद्र और राज्यों का राजकोषीय घाटा सामूहिक रूप से इस साल 12 फीसदी पर पहुंच जाएगा.’ घाटे के मौद्रिकरण पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सही मौद्रिकरण तभी होगा जबकि रिजर्व बैंक सरकारी ऋण में बढ़ोतरी के बिना सरकार को स्थानांतरण के जरिये स्वत: घाटे का वित्तपोषण करेगा.

दिसंबर में अगली मौद्रिक समीक्षा पेश करेगा RBI
रिजर्व बैंक द्वारा राजकोषीय घाटे के मौद्रिकरण से तात्पर्य केंद्रीय बैंक द्वारा सरकार के आपात खर्च तथा राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए करेंसी नोटों की छपाई से है. इस तरह की कार्रवाई आपात स्थिति में की जाती है. गोयल ने इसके साथ ही कहा कि दीर्घावधि की स्थिरता के लिए रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता का संरक्षण काफी महत्वपूर्ण है. रिजर्व बैंक अपनी अगली मौद्रिक समीक्षा दिसंबर में पेश करेगा.

Source : News Nation Bureau

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