चीन (China) इन दिनों अभूतपूर्व बिजली संकट से जूझ रहा है. बिजली उत्पादन में क्रमबद्ध तरीके से कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य और गैस कीमतों में हो रही वृद्धि समेत लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की कमी इसके लिए प्रमुख तौर पर जिम्मेदार है. बिजली संकट को देखते हुए बीजिंग प्रशासन ने विद्युत आपूर्ति में कटौती शुरू कर दी है, जिसकी वजह से तमाम उद्योगों को कार्य दिवस में कटौती करनी पड़ी है, तो कुछ को हफ्तों के लिए अपना उत्पादन रोकना पड़ा है. एक अनुमान के मुताबिक चीन की औद्योगिक गतिविधियां 44 प्रतिशत तक प्रभावित हुई हैं. उत्पादन में कमी से सिर्फ चीन पर ही नहीं बल्कि समग्र विश्व की अर्थव्यवस्था (World Economy) पर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है. चीन के ही विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि उत्पादन में कमी से उत्पादों की कीमतों में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है. यही वजह है कि चीन के बिजली संकट पर समग्र विश्व इसके आर्थिक पहलुओं को लेकर चिंतित है.
कोयले की कीमतों में इजाफा और एलएनजी की कमी से संकट गहराया
मोटे तौर पर चीन के कारखानों में बनने वाले 80 फीसदी उत्पादों की आपूर्ति अन्य देशों को होती है. ऐसे में विशषेज्ञ आशंका जता रहे हैं कि बिजली संकट के असर से कच्चे माल की आपूर्ति भी प्रभावित होगी. बिजली संकट के मूल में कोयले की कीमतों में भारी इजाफा है. एक अन्य कारण कोयला खदानों में हो रही दुर्घटनाओं से बंद हुआ खनन कार्य भी है. करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर चीन सरकार का कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य है. फिलहाल सरकार 3.5 फीसदी कार्बन उत्सर्जन कम करने में सफल रही है. बीजिंग प्रशासन ने 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था को ई-एनर्जी पर केंद्रित करने की नीति बनाई है. इसे हासिल करने के लिए सरकार ने चीनी कंपनियों और औद्योगिक निर्माताओं के लिए बिजली की खपत को लेकर नई नियमावली जारी की है. कोयले की कमी और दामों में बढ़ोत्तरी ने उत्पादकों को तरल प्राकृतिक गैस की तरफ देखने को मजबूर किया है. एलएनजी की बढ़ती मांग के सापेक्ष आपूर्ति नहीं होने से भी उत्पादन पर गहरा असर पड़ा है.
यह भी पढ़ेंः महात्मा गांधी के सामने अंग्रेजी सरकार ने टेक दिए थे घुटने..जाने कैसे थे राष्ट्रपिता
कई कारखाने बंद हुए
चीन में बिजली संकट बीते कई हफ्तों से जारी है. इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है. कई शहरों में हालात इतने खराब हैं कि सिर्फ एक या दो घंटे ही बिजली मिल पा रही है. इससे वहां पर कारखानों को बंद करने की नौबत आ गई है. हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मार्निग पोस्ट के मुताबिक बार-बार बिजली जाने से बहुत से कीमती उपकरणों को नुकसान हुआ है और हो रहा है. निर्माण प्रक्रिया बाधित होने से कच्चा माल बर्बाद हुआ है. संवेदनशील आपूर्ति व्यवस्था भंग हुई है. आर्डर रद होने से कारोबार के अवसरों का नुकसान हो रहा है.
HIGHLIGHTS
- चीन की औद्योगिक गतिविधियां 44 प्रतिशत तक प्रभावित
- कई शहरों में सिर्फ एक या दो घंटे ही बिजली की आपूर्ति
- कोयला कीमतों में इजाफा और एलएनजी में कमी से संकट