वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया था कि वो अपने पीछे पब्लिक बैंकिंग क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गंदी बदबू छोड़ गए थे. वहीं अब उनके बयान पर पूर्व प्रधानमंत्री ने पलटवार किया है. मनमोहन सिंह ने कहा है कि किसी के भी ऊपर दोष मढ़ने के लिए मौजूदा सरकार लगातार कोशिश कर रही है.
यह भी पढ़ें: इस दिन होगी बैंकों में हड़ताल (Bank Strike), देखकर जाएं नहीं तो हो जाएंगे परेशान
उनका कहना है कि आर्थिक मंदी और मोदी सरकार की उदासीनता की वजह से देशवासियों के भविष्य पर काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है. वहीं सरकार द्वारा मुद्रास्फीति को निचले स्तर पर रखने की सनक की वजह से किसानों के ऊपर संकट बढ़ गया है. इसके अलावा एक्सपोर्ट और इंपोर्ट को लेकर भी समस्याएं बढ़ गई हैं.
यह भी पढ़ें: Aadhaar Card Online बनवाने के लिए लाइन में लगने का झंझट खत्म, ऐसे लें अप्लाइंटमेंट
विपक्ष पर दोष मढ़ने में लगी है सरकार: मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा हालात में महाराष्ट्र में कारोबारी गतिविधियां काफी कमजोर हुई हैं और वहां कई कंपनियों भी बंद हुई हैं. उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर्फ और सिर्फ विपक्ष के ऊपर दोष मढ़ने पर लगी हुई है और समस्याओं के समाधान को ढूंढने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है.
यह भी पढ़ें: खरीफ फसल से सुधरेगी अर्थव्यवस्था की हालत, गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा बयान
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया था कि वो अपने पीछे पब्लिक बैंकिंग क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गंदी बदबू छोड़ गए थे और इसका सबसे खराब चरण उनके और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौरान रहा. राजन के गर्वनर रहने के दौरान दोस्ताना नेताओं के फोन कॉल के आधार पर ही ऋण दिए गए और देश के सरकारी बैंक अभी तक उस समस्या से उबरने के लिए सरकारी मदद पर ही निर्भर हैं.
यह भी पढ़ें: Gold Price Today 17th Oct 2019: सोने-चांदी में आज उतार-चढ़ाव की आशंका, ट्रेडिंग के लिए क्या बनाएं रणनीति, जानें यहां
सीतारमण ने कहा कि देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों ने उससे पहले इतना बुरा दौर कभी नहीं देखा था जितना प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह और रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में रघुराम राजन की जोड़ी के दौरान देखा गया. राजन की मोदी सरकार की आलोचना से जुड़े एक सवाल का उत्तर देते हुए सीतारमण ने कहा कि वो दौर कुछ ज्यादा ही लोकतांत्रिक नेतृत्व का था जिसमें शायद काफी उदारवादियों की सहमति रही होगी. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की ऐसी गंदगी छाई कि अभी तक उसकी सफाई जारी है.