बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रीज (FICCI) की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक भारत सरकार की ओर से इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) लाने के बाद से बैंको की कर्ज वसूली प्रक्रिया में तेजी और उनकी स्थिति में मजबूती आई है। इस सर्वे में भाग लेने वाले बैंकों ने बताया कि आईबीसी के आने के बाद से शुरुआती चरण में ही प्रमोटर्स को कर्ज लौटा मामले का निपटारा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
सर्वे में शामिल 22 बैंक अधिकारियों ने कहा कि स्थगन अवधि को 270 दिन से आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
शामिल बैंक के अधिकारियों ने स्थगन अवधि सहित अपनी कंपनियों के लिए कर्ज की मियाद बढ़ाने का सुझाव दिया। उनहोंने कहा जिनका कारोबार व्यावहारिक है लेकिन वर्तमान में उनके लेनदेन खातों के खिंचाव में होने की वजह से उनपर दबाव बना हुआ है उन्हें राहत दी जा सकती है।
फिक्की-आईबीए के सातवें दौर के इस सर्वे के अनुसार समाधान प्रक्रिया में और सुधार लाने का भी सुझाव दिया। बैंक अधिकारियों ने कहा कि न्यायपालिका की क्षमता बढ़ाई जाए और स्थानीय स्तर पर सरकारी अधिकारियों को मजबूत करने के लिए अधिक अधिकार दिए जानें चाहिए।
इसमें कहा गया है, ‘आईबीसी से दबाव वाली संपत्ति के समाधान में सफलता मिली है। हालांकि कानून अभी निरंतर विकसित हो रहा है।’
सर्वे में शामिल 67 प्रतिशत प्रतिभागियों ने मानकों को कड़ा करने का समर्थन किया है। जबकि पिछले दौर के सर्वे में यह 28 प्रतिशत था।
इसमें कहा गया है कि जीडीपी वृद्धि के तेजी के रास्ते पर आने के बावजूद बैंक कर्ज देने में अभी भी चुनौती का सामना कर रहे हैं। उधर, खुदरा मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बरकरार है। सरकारी खर्च बढ़ने के साथ ही कच्चे तेल के दाम बढ़ने से यह स्थिति बन रही है।
Source : News Nation Bureau