वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव और इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संभावित गिरावट का आकलन करना शुरू किया है. वित्त मंत्री ने आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक और प्रोत्साहन की खुराक दिए जाने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया. मौका था 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह की पुस्तक ‘पोट्र्रेट्स आफ पॉवर: हॉफ ए सेंचुरी आफ बीइंग एट रिंगसाइट’ के अनावरण का.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैंने प्रोत्साहन की एक और खुराक के विकल्प को बंद नहीं किया है... हर समय जब हमने एक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है, वह काफी विचार विमर्श और सोच विचार के बाद जारी किया गया... मैंने एक और प्रोत्साहन पैकेज के विकल्प को बंद नहीं किया है. वित्त मंत्रालय क्या अर्थव्यवस्था में आने वाली गिरावट के बारे में कोई अनुमान जारी करेगा? इस सवाल पर सीतारमण ने कहा कि मंत्रालय ने अक्टूबर की शुरुआत से ही इस बारे में कुछ आकलन करने की शुरुआत की है. जल्द ही इस अनुमान को हम बतायेंगे.
उन्होंने कहा कि शायद किसी समय हमें इस बारे में वक्तव्य जारी करना होगा. फिर चाहे इसे में सार्वजनिक रूप से कहूं या फिर संसद में कहूं एक अलग बात है, लेकिन वित्त मंत्रालय को इस बारे में आकलन करना होगा कि क्या होने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है. वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रमश: 10.3 प्रतिशत और 9.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है.
सीतारमण ने त्योहारों के व्यस्त मौसम की शुरुआत से पहले सरकारी कर्मचारियों को एलटीसी के बदले नकद वाउचर देने और 10,000 रुपये का त्योहारी अग्रिम उपलब्ध कराने की घोषणा की. ये उपाय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग बढ़ाने को ध्यान में रखते हुये किए गए. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने वर्ष के दौरान अतिरिक्त पूंजी व्यय करने, राज्यों को 50 साल के लिए 12,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने की भी घोषणा की. इन उपायों से कुल मिलाकर 28,000 करोड़ रुपये की मांग निकलने की उम्मीद है.
सरकार ने इससे पहले मई में 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्मनिर्भर भारत’ प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी. अब सरकार त्योहारी मौसम शुरू होने से पहले अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खोलने और उसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है. सरकार ने इस साल मार्च अंत में कोरोना वायरस महामारी पर अंकुश लगाने के लिये देशभर में कड़ा लॉकडाउन लागू किया. इस लॉकडाउन की वजह से वर्ष की पहली तिमाही ‘अप्रैल-जून’ के दौरान जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई.
सीतारमण ने कहा कि वित्त मंत्रालय जल्द ही रणनीतिक और गैर- रणनीतिक क्षेत्रों की पहचान स्पष्ट करने के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्ताव पेश करेगी. वित्त मंत्री ने मई में घोषणा की थी कि केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये एक नई सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीति तैयार की जाएगी. इसके तहत रणनीतिक क्षेत्र में अधिक से अधिक चार सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां रह सकती हैं. अन्य क्षेत्रों में निजीकरण किया जाएगा.
इस मौके पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में फिर नए ढंग से सोचने और इसके नए तरीके निकालने की जरूरत है... ‘ हम जितना ‘क्लिक्स’ यानी सूचना प्रौद्यिगिकी के बारे में ध्यान देते हैं हमें ‘ब्रिक्स’ यानी परम्परागत उद्योग-धंधों के बारे में भी उतना ही सोचने की जरूरत है. हम भविष्य के उद्योगों और भविष्य की सेवाओं को उपलब्ध कराने वाले समूचे पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में सोचना होगा.
Source : Bhasha