व्यय में बढ़ोतरी के चलते भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल से अगस्त महीने के बीच 2017-18 के बजट अनुमान का 96.1 प्रतिशत तक पहुंच गया।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़े से पता चलता है कि अप्रैल-अगस्त का राजकोषीय घाटा पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में बजट का 76.4 प्रतिशत था। लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 के प्रथम पांच महीनों में राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 96 प्रतिशत से अधिक हो गया।
2017-18 का घाटा (राजस्व और खर्च के बीच का अंतर) बढ़कर 5.46 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछले वित्तवर्ष में यह 5.34 लाख करोड़ रुपये था।
सीजीए के आंकड़े के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि के दौरान कर राजस्व 3.40 लाख करोड़ रुपये, या अनुमान का 27.8 प्रतिशत था, जबकि वित्तवर्ष के प्रथम पांच महीनों के दौरान कुल प्राप्तियां (राजस्व और गैर ऋण पूंजी से) 4.25 लाख करोड़ रुपये, या मौजूदा वित्तवर्ष के अनुमान का 26.6 प्रतिशत थी।
आंकड़े के अनुसार, अप्रैल-अगस्त के दौरान कुल खर्च 9.50 लाख करोड़ रुपये, या पूरे वित्तवर्ष के अनुमान का 44.3 प्रतिशत था। समीक्षाधीन अवधि के दौरान राजस्व घाटा 4.30 लाख करोड़ रुपये, या अनुमान का 133.9 प्रतिशत था।
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Source : News Nation Bureau