रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा है जिन देशों ने कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) की रोकथाम के लिये विकेंद्रित तरीके अपनाये, वे अन्य देशों की तुलना में इस मोर्चे पर बेहतर रहे है. उन्होंने जर्मनी (Germany) और दक्षिण कोरिया (South Korea) का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों में केंद्र के स्तर पर संसाधनों का आवंटन किया लेकिन उसे कैसे खर्च करना है, किस प्रकार रखना है, उसका जिम्मा प्रांतों पर छोड़ दिया.
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शुरुआत में जहां कोरोना के मामले नहीं थे वे आर्थिक रूप से ज्यादा प्रभावित
राजन ने कहा कि भारत में चार घंटे के नोटिस पर देशव्यापी लॉककडाउन लगाया गया. जिन क्षेत्रों में उस समय कोरोना वायरस के मामले नहीं थे, वे इससे आर्थिक रूप से व्यापक रूप से प्रभावित हुए. उन्होंने यू ट्यूब चैनल कारोना नॉमिक्स से बातचीत में कहा कि मैं केंद्र के स्तर पर निर्णय लेने में होने वाली कठिनाइयों को रेखांकित करना चाहता हूं. उदाहरण के लिये भारत का अनिवार्य रूप से पूरे देश को बंद करने का निर्णय. राजन ने कहा कि आपको तुंरत पता चल गया कि जिन इलाकों में कोरोना वायरस संक्रमण के ज्यादा मामले नहीं है, उन पर आर्थिक रूप से ज्यादा असर पड़ा है. इसीलिए पूरे देश में बंद को देखते हुए संभवत: कुछ जगहों पर उसे जल्दी वापस लेना पड़ा.
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कोरोना नॉमिक्स यूट्यूब का चैनल है जहां दुनिया के शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञ कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभाव से निपटने के उपायों पर चर्चा करते हैं. उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ लगाया गया, मुंबई और दिल्ली संक्रमण के केंद्र थे। जबकि उस समय पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में संक्रमण के ज्यादा मामले नहीं थे. फिलहाल द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर राजन ने कहा कि विकेंद्रीकरण के तहत स्थानीय स्तर पर समस्याओं के समाधान की अनुमति दी जाती है और निश्चित रूप से केंद्र सरकार इसमें मदद करती है.