वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए इलेक्ट्रानिक वे बिल या ई-वे बिल प्रणाली अब एक फरवरी से लागू होगी।
इस प्रणाली में ट्रांसपोर्टरों को राज्यों के बीच माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल साथ रखना होगा। इस कदम का मकसद कर चोरी को रोकना तथा राजस्व में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी करना है।
जीएसटी को एक जुलाई को लागू किया गया था। उस समय ई-वे बिल साथ रखने की जरूरत को टाल दिया गया था क्योंकि इसके लिए आईटी नेटवर्क तैयार नहीं था। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसे उन 17 राज्यों में भी लागू किया जा रहा है जिनके पास जीएसटी से पहले से ही इलेक्ट्रानिक चालान या ई-वे बिल प्रणाली है।
अभी तक इसमें बड़े पैमाने पर कर चोरी होती थी क्योंकि बड़ी संख्या में लोग नकद में भुगतान करने के बाद कर नहीं देते थे।
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एक बार ई-वे बिल प्रणाली लागू होने के बाद कर चोरी काफी मुश्किल हो जाएगी क्योंकि सरकार के पास 50,000 रुपये से अधिक के सभी सामान का ब्योरा होगा और वह आपूर्तिकर्ता या खरीदार किसी के द्वारा कर रिटर्न नहीं होने पर गड़बड़ी को पकड़ सकेगी।
शक्तिशाली जीएसटी परिषद ने 16 दिसंबर को देशभर में ई-वे व्यवस्था को एक जून से लागू करने का फैसला किया था। अधिकारी ने कहा कि एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली एक फरवरी से लागू होगी, जबकि राज्य के भीतर की आवाजाही के लिए यह प्रणाली एक जून से लागू होगी।
अधिकारी ने बताया कि राज्यों को यह विकल्प दिया गया है कि वे राज्य के भीतर ही आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली को एक फरवरी से एक जून के दौरान लागू कर सकते हैं। उन्हें 10 किलोमीटर के दायरे में माल की आवाजाही को इससे छूट देने का विकल्प दिया गया है।
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अधिकारी ने कहा कि इस प्रणाली से कर चोरी रुकेगी और राजस्व में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। जिन राज्यों में जीएसटी से पहले से ई-वे बिल लागू है उनके अनुभवों से पता चलता है कि इससे राजस्व में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा होगा।
अधिकारी ने कहा कि ई-वे बिल का पायलट कर्नाटक में सफलतापूर्वक चला है और आईटी प्रणाली इसको लेकर किसी भी जरूरत को पूरा करने को तैयार है।
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Source : News Nation Bureau