वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कर संग्रह काफी उत्साहजनक है और यह संकेत है कि अर्थव्यवस्था में ‘लॉकडाउन’ लगाये जाने के समय के अनुमान के विपरीत पुनरूद्धार तेजी से हो रहा है. राजस्व सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे पांडे ने कहा कि राजस्व विभाग आयकर रिटर्न दाखिल करते समय फॉर्म 26 एएस के माध्यम से सभी वित्तीय लेनदेन के आंकड़े उपलब्ध कराकर करदाताओं के बीच स्व-अनुपालन को क्रियान्वित कराना चाहता है. उन्होंने कहा कि जून में जमा हुआ 91 हजार करोड़ रुपये का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का लगभग 70 प्रतिशत मई में हुए लेनदेन से जुड़ा हुआ है.
वित्त सचिव ने उद्योगमंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, जून के लिये, वर्तमान रुझानों के अनुसार, हमारे पास कुछ निश्चित संकेत हैं कि कितने लोगों ने अब तक भुगतान किया है, और साथ ही ई-वे बिल ट्रकों की आवाजाही ये सभी चीजें उत्साहजनक संकेत दे रही हैं मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद जो अनुमान लगाया जा रहा था, उसके मुकाबले अर्थव्यवस्था जल्द ही वापसी कर रही है. इसके अलावा, अग्रिम कर और टीडीएस के माध्यम से, आयकर संग्रह अप्रैल-जून तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि का लगभग 80 प्रतिशत रहा. पांडे ने कहा, ये दो आंकड़े ‘जीएसटी और आयकर’ उत्साहजनक हैं और हमें कुछ उम्मीद भी देते हैं कि जहां भी संभव हो रहा है, व्यवसाय शुरू हो रहे हैं. लेकिन होटल, शिक्षा, पर्यटन जैसे कुछ क्षेत्र हैं, जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.
सरकार ने मई में संशोधित फॉर्म 26 एएस को अधिसूचित किया था, जिसमें करदाताओं के उच्च मूल्य वाले वित्तीय लेनदेन जैसे कि नकद जमा या निकासी, एक वित्त वर्ष के दौरान संपत्ति की खरीद जैसी अतिरिक्त जानकारियां होंगी. यह स्वैच्छिक अनुपालन सुनिश्चित करता है और आईटी रिटर्न की ई-फाइलिंग को आसान बनाता है. पांडे ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपना सारा लेन-देन एक स्थान पर देखता है, तो यह रिटर्न फाइलिंग को बहुत आसान बनाता है और ईमानदार करदाताओं की मदद करता है. यह उन व्यक्तियों को भी एक संदेश देता है, जो अनुपालन का उल्लंघन करने की दहलीज पर होते हैं और उन्हें कानून के सही पक्ष में लाने का भी प्रयास करता है.
उन्होंने कहा, हम जिस चीज को बढ़ावा देना चाहते हैं, वह है कि किसी को नोटिस भेजे जाने के बजाय स्वैच्छिक अनुपालन हो. पांडेय ने बैंकों द्वारा डिजिटल ऋण देने के संबंध में कहा कि यदि ऋण आवेदक का कर-भुगतात का ब्योरा बैंकों को उपलब्ध कराया जाता है, तो इससे ऋणदाताओं के लिये यह आकलन करना आसान हो जायेगा कि कितना ऋण दिया जा सकता है. उन्होंने कहा, हमारे पास ये सभी सूचनाएं हैं, इन सूचनाओं को एक सुरक्षित तरीके से साझा किया जा सकता है. हम उस पर काम कर रहे हैं.
हमने विभिन्न संबंधित पक्षों के साथ बैठकें कीं, और हमें कई सुझाव मिले. हम इनके ऊपर काम कर रहे हैं. पांडे ने यह भी कहा कि अगर कर आधार बढ़ता है तो जीएसीटी दरों में आगे और कटौती की जा सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी के तहत फार्म की संख्या भी कम करने की दिशा में काम कर रही है. पांडे ने कहा कि जीएसटी से पहले 17 अलग-अलग करों के लिये 495 फार्म थे. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद फार्म की संख्या घटकर 17-18 हो गयी. हम इसमें और कमी लाना चाहते हैं.
Source : Bhasha/News Nation Bureau