केंद्र सरकार की विलासिता वाले उत्पादों पर 28 प्रतिशत की जीएसटी दर को ही कायम रखने की मंशा है. हालांकि सरकार कर की तीन अन्य श्रेणियों को दो श्रेणियों में बदलने पर चर्चा करने को तैयार है. जीएसटी के कर ढांचे में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरों में 28 प्रतिशत की दर बरकरार रखी जाएगी. इसकी वजह यह है कि एक विकासशील एवं आय असमानता वाली अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे लग्जरी उत्पाद होते हैं जिन पर ऊंची कर दर लगाए जाने की जरूरत है.
एसोचैम के कार्यक्रम में राजस्व सचिव का बयान
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने की जीएसटी परिषद की कवायद कर प्रणाली के पांच साल बाद किए गए निष्कर्ष का नतीजा है. उन्होंने कहा कि नीति-निर्माताओं को कर दरें 15.5 प्रतिशत के राजस्व-तटस्थ स्तर तक ले जाने की कोई जल्दी नहीं है. पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग पर उन्होंने कहा कि ईंधन पर लगने वाला कर केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा होता है, लिहाजा इसे लेकर कुछ आशंकाएं भी बरकरार रहती हैं.
विलासिता वाले उत्पादों का स्लैब नहीं बदलेगा
उन्होंने कहा, ‘जहां तक जीएसटी के कर ढांचे का सवाल है तो 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरों में से हमें 28 प्रतिशत की दर बरकरार रखनी होगी. एक विकासशील एवं आय असमानता वाली अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे लग्जरी उत्पाद होते हैं जिन पर ऊंची कर दर लगाए जाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि अन्य तीन कर दरों को हम दो दरों में समायोजित कर सकते हैं. इस तरह हम यह देख सकते हैं कि देश किस तरह आगे बढ़ता है और क्या इन दरों को कम कर सिर्फ एक दर पर लाया जा सकता है या नहीं. यह एक बहुत बड़ी चुनौती है.’
अभी यह हैं दरें
गौरतलब है कि जीएसटी प्रणाली में कर की चार दरें हैं. जरूरत वाली चीजों पर पांच प्रतिशत का सबसे कम दर से कर लगता है. वहीं विलासिता वाली वस्तुओं पर अधिकतम 28 फीसदी कर है. इस कर की दो अन्य दरें 12 एवं 18 प्रतिशत हैं. इसके अलावा सोना, आभूषण एवं रत्नों के लिए तीन फीसद की एक विशेष दर रखी गई है, जबकि तराशे हीरों पर 1.5 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है. गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह बनाया है, जो कर दरों को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रहा है. मंत्री समूह को इस बारे में अंतिम रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है.
HIGHLIGHTS
- अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे लग्जरी उत्पाद, जिन पर ऊंची कर दर लगाने की जरूरत
- बोम्मई की अध्यक्षता में कर दरों को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रहा मंत्री समूह