बजट के बाद शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है। शेयरों से होने वाली कमाई पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स लगाए जाने के बाद दूसरे कारोबारी सत्र में भी शेयरों की पिटाई जारी है।
हालांकि सरकार का मानना है कि बाजार में आई गिरावट की वजह एलटीसीजी कर लगाया जाना नहीं बल्कि वैश्विक संकेत हैं।
वित्त एवं राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि शेयरों से कमाई पर सिर्फ 10 फीसदी एलटीसीजी लगाया गया है, जिससे शेयरों में निवेश अभी भी आकर्षक बना हुआ है।
अधिया ने सोमवार को सीआईआई के एक कर्याक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अन्य परिसंपत्तियों के मुकाबले शेयरों पर एलटीसीजी कर कम है।
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को आम बजट पेश करते हुए शेयरों से एक लाख रुपये से अधिक की कमाई पर 10 फीसदी एलटीसीजी कर लगाए जाने का ऐलान किया था। इससे सरकार को 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व होने की उम्मीद है।
सरकार की इस घोषणा का बाजार पर सही असर नहीं हुआ और पिछले दो सत्रों में बिकवाली की वजह से शेयर बाजार दबाव में है।
बजट के ठीक अगले दिन 2 फरवरी (शुक्रवार) को सेंसेक्स 839.91 अंकों की भारी गिरावट के साथ 35,066.75 पर और निफ्टी 256.30 अंकों की गिरावट के साथ 10,760.60 पर बंद हुआ।
इसके बाद सोमवार को भी बाजार की स्थिति संभलती दिखाई नहीं दे रही है। सोमवार को सेंसेक्स भारी गिरावट के साथ खुला और आखिर में 309.59 अंकों की कमजोरी के साथ बंद हुआ।
लगातार दो सत्र में देखा जाए तो सेंसेक्स में करीब 1150 अंकों की गिरावट की आई है और यह 35,000 के नीचे जा चुका है। वहीं निफ्टी भी अपने सपोर्ट लेवल से नीचे फिसलता जा रहा है।
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50 शेयरों वाला निफ्टी सोमवार को करीब 100 अंकों की गिरावट के साथ 10,666.55 पर बंद हुआ। निफ्टी में लगातार दो कारोबारी सत्र में करीब 350 से अधिक अंकों की गिरावट आई है।
हालांकि, 31 जनवरी 2018 तक शेयरों से कमाई पर छूट दी जाएगी और शेयरों को एक साल तक रखने पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाएगा।
बाजार विश्लषेकों का मानना है कि वैश्विक संकेतकों के साथ बैंकिंग, कैपिटल गुड्स, वाहन, तेल एवं गैस शेयरों में गिरावट से शेयर बाजार में गिरावट का रुख बना हुआ है।
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HIGHLIGHTS
- शेयरों से होने वाली कमाई पर एलटीसीजी टैक्स लगाए जाने के बाद दूसरे कारोबारी सत्र में भी शेयरों की पिटाई जारी है
- हालांकि सरकार का मानना है कि बाजार में आई गिरावट की वजह एलटीसीजी कर लगाया जाना नहीं बल्कि वैश्विक संकेत हैं
Source : News Nation Bureau