केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विकास से कुछ ही लोगों को फायदा होने और बाकी अनेक को वंचित रहने के खतरों से सावधान करते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है जहां उच्च विकास दर की लाभाथियों को अधिक समावेशी बनाया जा सके. जेटली ने कहा कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं में लोगों को गरीबी के चक्र से निकालने के लिए उच्च विकास दर की जरूरत है.
उन्होंने कहा, "दुनियाभर में हमारी जैसी अर्थव्यवस्थाओं में उच्च विकास दर की आवश्यकता है. हम विकास का उपयोग के ऐसे तंत्र के रूप में करना चाहते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को गरीबी से निकाला जा सके और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो, लेकिन इस तथ्य को लेकर भी सचेत हैं कि विकास और प्रगति से कुछ ही लोगों को फायदा होने और अनेक अन्य लोगों के वंचित रह जाने का खतरा रहता है."
दो दिवसीय बचत और खुदरा बैंकिग विश्व कांग्रेस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए जेटली ने इस बात पर जोर दिया कि विकास के भेदन प्रभाव निश्चित रूप से होगा, लेकिन इसकी प्रक्रिया सुस्त होगी और आकांक्षी समाज निश्चित तौर पर इंतजार नहीं करना चाहता है.
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वित्तमंत्री ने कहा, "क्या हम ऐसी व्यवस्था की परिकल्पना नहीं कर सकते, जहां उच्च विकास दर से राज्य को अतिरिक्त संसाधन प्राप्त हो और उसका उपयोग वंचितों की मदद के लिए किया जाए."
वित्तमंत्री टिकाऊ खुदरा बैंकिंग से सबके लिए वैश्वीकरण का निर्माण विषय पर बोल रहे थे.
एक दशक पहले वित्तीय समावेशन महज आकांक्षा या अकादमिक शोध का विषय था और जहां तक शासन का सवाल है यह कभी केंद्रीय मसला नहीं बन पाया था.
उन्होंने कहा, "चार से पांच साल पहले हमारी आबादी का 48 फीसदी या आज की 60 करोड़ आबादी ने कभी बैंक नहीं देखा था और वे बैंक से जुड़े हुए नहीं थे."
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने ओवरड्राफ्ट सुविधा और बीमा जैसे प्रोत्साहन का उपयोग करके 33 करोड़ खाते कुछ ही महीने में खुलवाए.
Source : News Nation Bureau