अमेरिकी ऊर्जा विभाग (यूएसडीओई) के अनुसार, दुनियाभर में बत्तियों से पांच से छह फीसदी ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) का उत्सर्जन होता है, लेकिन लाइट इमिटिंग डायोड (LED) से जीएचजी के उत्सर्जन के हानिकराक प्रभाव को कम करने में काफी मदद मिल सकती है.
परंपरागत बत्तियों के मुकाबले एलईडी में 80-85 फीसदी कम बिजली की खपत होती है. साथ ही, बहुत अधिक समय (50,000 घंटे से अधिक) तक काम भी करती है. कांपैक्ट फ्लुरेसेंट लैंप्स अर्थात गहन प्रतिदीप्ति बत्तियों (सीएफएल) जैसी पूर्व में उपयोग की जाने वाली बत्तियों के विपरीत एलईडी से पर्यावरण में पारद विसर्जन से होने वाला नुकसान बिल्कुल नहीं होता है.
भारत में बिजली की कुल खपत का 18 फीसदी उपयोग बत्तियों में होता है. एलईडी, स्मार्ट मीटर, स्मार्ट डिजाइन और संयुक्त बत्तियों से कुल खपत में करीब नौ से 11 फीसदी (50 फीसदी और उससे अधिक) की बचत होगी.
और पढ़ें : Statue of Unity में छिपा है PM Narendra Modi का सीक्रेट, जान कर हैरान रह जाएंगे आप
इन गुणों के कारण दुनियाभर में बत्तियों के बाजार में भारी पैमाने पर एलईडी की आपूर्ति देखी जा रही है जोकि नीतिगत फैसले से प्रेरित है. एक अनुमान के तौर पर दुनिया के प्राय: सभी बड़े नगरों में करीब पांच करोड़ परंपरागत बत्तियों की जगह एलईडी ने ले ली है. अमेरिका में करीब एक अरब सक्षम बत्तियां (एलईडी और सीएफएल) हैं जिनमें एलईडी से 2027 तक करीब 3,84,000 अरब वाट घंटा ऊर्जा की बचत होने की उम्मीद है.
भारत में उजाला योजना (मई 2017) के तहत 23 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण किया जा चुका है. भारत के एलईडी बाजार में घरेलू और विदेशी एलईडी उत्पादकों के उत्पाद मिलते हैं. इनकी बाजार हिस्सेदारी में उतार-चढ़ाव बना रहा है क्योंकि उनका वर्चस्व नवाचारी प्रौद्योगिकी से प्रेरित रहा है.
मौजूदा दौर में चीन, ताइवान और कोरिया से आयातित एलईडी और असंगठिन क्षेत्र के उत्पादों की बहुतायत है. घरेलू बाजार में आपूर्ति श्रंखला की रूपरेखा के लिए राष्ट्रीय स्तर के मानकों व विनियमनों का अभाव होने के कारण ऐसा हो रहा है.
भारतीय उद्योग में इस क्षेत्र में आने वाली प्रौद्योगिकी के लिए विनिर्माण प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के प्रयासों का अभाव है.
और पढ़ें : गिरावट में भी बेस्ट है Mutual Funds में निवेश, तैयार हो गया 20 लाख का फंड
1990 के दशक की शुरुआत में गैलियम नाइट्राइड (जीएएन) के अनुप्रयोग के साथ एलईडी का पहला अनुसंधान हुआ. उस समय गैलियम और उसकी उपधातुओं में पूर्व में प्रयोग होने वाले पदार्थ जैसे- सिलिकन कार्बाइड की तुलना में 10-100 गुना ज्यादा चमक देखी गई.
मौजूदा दौर में एलईडी का व्यापक अनुप्रयोग हो रहा है जिसमें जीएएन का इस्तेमाल होने से स्वचालित बत्तियां, यातायात की बत्तियां, बड़े परदे का टीवी जैसी अन्य वस्तुओं में अत्यंत चमकीला प्रकाश देखा देखा जाता है.
Source : IANS