अपना कारोबार शुरु करने की चाहत से खुले नए स्टार्टअप्स, कारोबार में नए होने और फंड की कमी के चलते जल्द ही बंद हो जाते हैं। इस कारण भारत के 90 फीसदी से ज्यादा स्टार्टअप पहले पांच सालों में ही बंद हो जाते हैं। यह जानकारी सॉफ्टवेयर दिग्गज आईबीएम ने अपनी एक रिपोर्ट में दी।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के स्टार्टअप को शुरुआत और बंद करने के दौरान दोनों ही हालातों में फंड की कमी से जूझना पड़ता है, जबकि दुनिया की सफल स्टार्टअप इको सिस्टम में ऐसा नहीं होता और उन्हें निवेशकों से हर कदम पर समर्थन मिलता है।
आईबीएम भारत/दक्षिण एशिया के मुख्य डिजिटल अधिकारी निपुन मेहरोत्रा ने एक बयान में कहा, 'हमारा मानना है कि स्टार्टअप को स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, शिक्षा, परिवहन, वैकल्पिक ऊर्जा प्रबंधन और अन्य सामाजिक समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है, जो कि उन मुद्दों से निपटने में मदद करेगी जिसका भारत समेत पूरी दुनिया सामना कर रही है।'
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी बने सबसे बड़े गेम चेंजर, फोर्ब्स की लिस्ट में पहले नंबर पर काबिज़
भारत के 76 फीसदी से भी अधिक अधिकारियों ने देश की अर्थव्यवस्था में खुलेपन को आर्थिक लाभ के रूप में देखा, जबकि 60 फीसदी ने कुशल श्रमिकों की पहचान की और 57 फीसदी अधिकारियों का कहना था कि बड़ा घरेलू बाजार होने के महत्वपूर्ण फायदे हैं।
इस सर्वेक्षण में शामिल 73 फीसदी उद्योग नेतृत्व का मानना है कि इको सिस्टम स्टार्टअप में तेजी ला सकती है।
यह भी पढ़ें: रजनीकांत अपने से 36 साल छोटी हुमा कुरैशी के साथ इस फिल्म में फरमाएंगे इश्क
IPL से जुड़ी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
Source : IANS