Independence Day 2020: 15 अगस्त 2020 (15 August 2020) को भारत का स्वतंत्रता दिवस (IndependenceDay2020) मनाया जाएगा. कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट की वजह से इस साल लाल किले पर आयोजित होने वाले समोराह में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इस साल अपने भाषण में अगले आर्थिक पैकेज को लेकर भी कुछ घोषणा कर सकते हैं. इसके अलावा देशभर में हेल्थ कार्ड जारी होने का ऐलान होने की भी संभावना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी उद्योग जगत के लिए भी बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं. बता दें कि मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की हालत काफी नाजुक है और ऐसे में प्रधानमंत्री का इस साल का भाषण कई मायने में महत्वपूर्ण है.
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आजादी के बाद सबसे खराब स्थिति में पहुंच सकती है भारत की अर्थव्यवस्था: एन आर नारायणमूर्ति
आज की इस रिपोर्ट में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि देश की आजादी के समय और मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यस्था में क्या बदलाव आए हैं. इसके अलावा देश ने मौजूदा समय में किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा तरक्की की है इस पर भी चर्चा करने की कोशिश करेंगे. गौरतलब है कि मौजूदा समय में कोरोना महामारी और ग्लोबल मंदी की वजह से देश के सामने काफी बड़ी आर्थिक चुनौतियां हैं ऐसे में इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक सदस्य एन आर नारायणमूर्ति (N R Narayana Murthy) के द्वारा मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के हालात पर दिए गए बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. दरअसल, उन्होंने आशंका जताई है कि चालू वित्त वर्ष में आजादी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था सबसे खराब स्थिति में दिखाई पड़ सकती है.
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जीडीपी में कम से कम 5 फीसदी की गिरावट का अनुमान: नारायणमूर्ति
उनका कहना है कि आजादी के बाद देश की GDP में सबसे बड़ी गिरावट आ सकती है. नारायणमूर्ति ने कहा कि जीडीपी में कम से कम 5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है. हम 1947 बाद की सबसे बड़ी जीडीपी गिरावट देख सकते हैं. बता दें कि आजादी के बाद 1950 से 1979 तक भारत की जीडीपी औसतन सालाना 3.5 फीसदी की दर से बढ़ी थी. उस जीडीपी ग्रोथ को 'हिंदू ग्रोथ रेट' के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन मौजूदा कोरोना महामारी और दुनियाभर में मंदी के माहौल को देखते हुए जीडीपी में फिलहाल सुधार की गति बहुत धीमी दिखाई पड़ रही है.
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नारायणमूर्ति का कहना है कि वैश्विक बाजार में कारोबारी गतिविधियां धीमी हैं और ग्लोबल ट्रैवल लगभग खत्म सा हो गया है, जिसकी वजह से ग्लोबल जीडीपी में 5 से 10 फीसदी तक गिरावट होने की आशंका है. बता दें कि आजादी के बाद से अबतक भारत की सालाना ग्रोथ रेट औसतन 6.15 फीसदी देखने को मिली है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों की वजह से इसमें भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. आंकड़ों के मुताबिक 2010 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 11.40 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, जबकि 1979 की चौथी तिमाही में यह -5.20 की न्यूनतम ग्रोथ रेट भी दर्ज हुई थी. बता दें कि आजादी के समय भारत की जीडीपी 2.7 लाख करोड़ रुपये के आस-पास थी.
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आजादी के बाद से अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया हुई शुरू
बता दें कि आज से ठीक 73 साल पहले भारत को न सिर्फ अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली थी बल्कि देश को वो आजादी भी मिली जिसने भारत के अर्थशास्त्र को वह दिशा भी देने का प्रयास किया जिसके जरिए संपूर्ण भारत का सपना बुना जाना था. देश ने शुरुआती योजनाओं के जरिए नित नई ऊंचाई को छुआ. 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी. विभिन्न नीतियों, योजनाओं और पंचवर्षीय योजनाओं ने देश के विकास गाथा में अहम रोल निभाया. हालांकि इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव भरे दिन भी देश को देखने पड़े. देश ने आजादी के बाद जहां खुशहाली का दौर देखा तो वहीं आर्थिक संकट का समय भी देशवासियों को झेलना पड़ा. आर्थिक संकट की वजह से देश के खजाने तक को गिरवी रखने जैसे हालात पैदा हो गए थे.
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2 अरब डॉलर से बढ़कर 534.57 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है विदेशी मुद्रा भंडार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आजादी के 13 सालों बाद 1960 में भारत की पर कैपिटा GDP 81.3 डॉलर यानी 5,682 रुपये थी जो मार्च 2018 में बढ़कर 1,977.29 डॉलर यानी 1,38,210 रुपये हो गई थी. वहीं आजादी के समय भारत के पास करीब 2 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, वहीं 31 जुलाई 2020 को समाप्त हुए हफ्ते के दौरान 11.94 अरब डॉलर की जोरदार बढ़ोतरी के साथ विदेशी मुद्रा भंडार 534.57 अरब डॉलर के रिकॉर्ड सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. बता दें कि 1952 में एक अमेरिकी डॉलर 4.16 रुपये के बराबर था.