अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्णय लेने के मामले में और मजबूत बनने की नसीहत दी है।
आईएमएफ रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के पास स्वतंत्रता होनी चाहिए फिर चाहे वो बैंक बोर्ड में सरकार द्वारा नियुक्त निदेशकों को हटाने का अधिकार ही क्यों न हो?
आरबीआई ने कहा है कि लोन का वर्गीकरण और नियम वित्तिय घाटे को देखते हुए और विशेष लोन की कैटेगरी को खत्म करने की नियत से बनना चाहिए।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'इसमें आरबीआई की स्वतंत्रता के साथ साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में इसकी ताकत बढ़ाना भी खास तौर पर जरूरी है। साथ ही वित्तीय नियंत्रक के संसाधनों को बढ़ाना भी।'
आईएमएफ ने कहा है कि भारत सार्वजनिक बैंकों के कर्ज से परेशान है।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कर्ज देने वाले बड़े संस्थान सुदृढ़ हैं, 'लेकिन तंत्र की अपनी कई बड़ी कमजोरियां हैं।'
इस रिपोर्ट का आकलन आईएमएफ ने अपनी वित्तीय प्रणाली स्थिरता (एफएसएसए) के जरिए किया है।
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Source : News Nation Bureau