आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत पाकिस्तान समेत कई अन्य एशियाई देशों से पिछड़ गया है। मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पॉलिसी के लिए यह बड़ा झटका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की वजह से सरकार ने कई क्षेत्रों में जरूरत से अधिक दखल बना रखा है।
अमेरिकी थिंक टैंक हेरिटेज फाउंडेशन की इंडेक्स ऑफ इकनॉमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच सालों में भले ही भारत औसतन 7 फीसदी की दर से आगे बढ़ने में सफल रहा हो लेकिन यह विकास दर नीतियों में उस तरह से दिखाई नहीं देती है जिससे आर्थिक आजादी सुनिश्चित होता हो।
इंडेक्स की रिपोर्ट में भारत 143 वें पायदान पर बना हुआ है। भारत की अर्थव्यवस्था एक धारणा के मुताबिक पूरी तरह से 'मुक्त नहीं है' और बाजार आधारित सुधार भी 'गैर बराबरी' से भरा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की मदद से कई क्षेत्रों में जरूरत से अधिक दखल बना रखा है। रिपोर्ट बताती है, 'प्रतिबंध और नियामकीय अड़चनों की वजह से आंत्रप्रेन्योरशिप हतोत्साहित हो रहा है जो कि निजी क्षेत्र की तरक्की को जेज कर सकता था।'
पिछले साल भारत की रैंकिंग 123 थी जबकि इस बार उसका स्कोर 52.6 है जो पिछली बार के मुकाबले 3.6 अंक कम है।
इस इंडेक्स में हॉन्ग-कॉन्ग, सिंगापुर और न्यूजीलैंड सबसे उपर है। दक्षिण एशियाई देशों में अफगानिस्तान 163वें पायदान पर है जबकि मालदीव 157वें पायदान पर है। यह दोनों देश रैंकिंग में भारत से नीचे हैं जबकि नेपाल (125), श्रीलंका (112), पाकिस्तान (141), भूटान (107) और बांग्लादेश (128) भारत से उपर है।
हालांकि थिंक टैंक ने भारत की विदेश नीति में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2016 में मोदी ने अमेरिका का चौथी बार दौरा किया और इससे दोनों देशों के संबंधों विशेषकर रक्षा सहयोग के क्षेत्र में मजबूती मिली।
HIGHLIGHTS
- आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत पाकिस्तान समेत कई अन्य एशियाई देशों से पिछड़ गया है
- रैंकिंग में नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान और बांग्लादेश भारत से उपर है
Source : News State Buraeu