Indian Toy Industry: एक तरफ सीमा पर भारतीय सेना ने चीन को परेशान कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सरकार अपनी प्लानिंग से चीनी कंपनियों को झटका देने में लगी हुई है. कुछ समय पहले स्मार्टफोन सेक्टर में चीनी कंपनियों का दबदबा रहता था. पर सरकार ने जब से इसे प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव यानी पीएलआई स्कीम के तहत आत्मनिर्भर भारत योजना में लिया है, तभी से ये दबदबा 50 फीसदी से नीचे आ चुका है. अब स्मार्टफोन सेक्टर के बाद सरकार का प्लान टॉय इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाने का है. टॉय इंडस्ट्री स्मार्टफोन सेक्टर के बाद सबसे ज्यादा चीनी प्रोडक्ट्स से भरी हुई है.
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चीनी प्रोडक्ट्स का रहा है दबदबा
आंकड़ो के अनुसार अगर हम दिल्ली के सदर बाजार की बात करें तो 25 फीसदी ही देश में बने खिलौने बिकते हैं, वहीं 75 फीसदी चीनी माल बेचा जाता है. इसलिए सरकार चाहती है कि पीएलआई स्कीम में आने से टॉय इंडस्ट्री में भारत की भूमिका बढ़ सकती है. पिछले 3 सालों की बात करें तो इंपोर्ट चीनी खिलौना का 70 फीसदी तक गिर चुका है. यानी सरकार की ये मुहिम रंग ला रही है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में टॉय इंडस्ट्री (Indian Toy Industry) में भारत की एक अलग पहचान होगी.
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क्या होती है पीएलआई स्कीम
इस स्कीम के तहत भारत की सरकार देसी कंपनियों को बढ़ावा देती है कि वो ज्यादा से प्रोडक्शन कर सके. इसके लिए सरकार की तरफ से कंपनी को इंसेंटिव दिया जाता है. इससे भारत में एक्सपोर्ट बढता है. इंसेंटिव सरकार कई तरह से कंपनी को दे सकती है. बिलों में छूट कंपनी को दी जाती हैं. इससे भारतीय कंपनी को माल बनाने में आसानी होती है.