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Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट, इतने अरब डॉलर की आई कमी

Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. 28 जून को बंद हुए सप्ताह में भी इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई. हालांकि इस साल अब तक फॉरेक्स रिजर्व में बढ़ोतरी हुई है.

Updated on: 06 Jul 2024, 06:05 AM

New Delhi:

Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 28 जून को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.71 बिलियन अमेरिकी डॉलर कम हो गया. इसके बाद ये घटकर 651.997 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया. जो अब तक के उच्चतम स्तर से थोड़ा सा नीचे है. इससे पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 655.817 अमेरिकी डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. दरअसल, 7 जून को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान ये अपने जीवनकाल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था.

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2024 में हुई विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी

बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लंबे समय से रुक-रुक कर बढ़ रहा है. इस साल यानी 2024 में अब तक, संचयी आधार पर उनमें लगभग 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCA), जो विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है, 1.252 बिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 572.881 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई.

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सोने के भंडार में भी आई कमी

आरबीआई के मुताबिक, सप्ताह के दौरान सोने का भंडार 42.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 56.528 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया. आरबीआई की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब लगभग 11 महीने के अनुमानित आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है. 2023 में आरबीआई ने अपनी विदेशी मुद्रा निधि में लगभग 58 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इलाफा किया था. जबकि 2022 में भारत की विदेशी मुद्रा निधि में संचयी रूप से 71 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी.

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क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?

बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार (एफएक्स रिजर्व) ऐसी संपत्तियां हैं जो किसी देश के केंद्रीय बैंक या मौद्रिक प्राधिकरण के पास होती हैं. इसे आम तौर पर आरक्षित मुद्राओं में रखा जाता है, आमतौर पर अमेरिकी डॉलर और, कुछ हद तक, यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग में इसे रखा जाता है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार आखिरी बार अक्टूबर 2021 में अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंचा था. उसके बाद की अधिकांश गिरावट को 2022 में आयातित वस्तुओं की लागत में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.