चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के आंकड़ों के आधिकारिक रूप से जारी होने से पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सोमवार को अनुमान लगाया है कि देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 7.5-7.6 फीसदी रहने की उम्मीद है, जोकि पिछली तिमाही की तुलना में कम है और इसका मुख्य कारण ग्रामीण मांग में आई गिरावट है. देश के सबसे बड़े कर्जदाता ने अपनी इकोरैप रिपोर्ट 'एसबीआई कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर (सीएलआई)' में यह जानकारी दी है, जिसमें 21 प्रमुख संकेतकों की समीक्षा की जाती है.
रिपोर्ट में कहा गया, "चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) विकास दर 7.3-7.4 फीसदी हो सकती है, जिसका प्रमुख कारण ग्रामीण मांग में गिरावट है."
जीवीए से राष्ट्रीय आय और उत्पादन को मापा जाता हैं, जिसमें कर और सब्सिडीज भी शामिल होती है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा पहले जारी पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आंकड़ों में बताया गया है कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 8.2 फीसदी रही थी.
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रिपोर्ट की लेखिका एसबीआई की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष का कहना है, "वित्त वर्ष 2017-18 में विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार 5.7 फीसदी रही थी, जिसमें चालू वित्त वर्ष में तेजी लौटी है, जिसे कच्चे तेल की कीमतों में कमी और धीरे-धीरे वापस मजबूत होते रुपये से मदद मिल रही है."
Source : IANS