Advertisment

दुनियाभर के देशों के बढ़ते कर्ज और राजकोषीय घाटे को लेकर IMF ने जारी की चेतावनी

आईएमएफ (IMF) के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने कहा कि उत्पादन में भारी गिरावट और इसके साथ राजस्व में कमी तथा उल्लेखनीय विवेकाधीन समर्थन से सरकार का कर्ज और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा.

author-image
Dhirendra Kumar
New Update
International Monetary Fund-IMF

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund-IMF) ( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

Coronavirus (Covid-19): अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund-IMF) ने आगाह किया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में वैश्विक सार्वजनिक ऋण (Global Public Debt) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 100 प्रतिशत के पार जा सकता है. इसके अलावा 2020 में औसत कुल राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) जीडीपी के 14 प्रतिशत के बराबर रह सकता है. आईएमएफ ने कहा है कि यह सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे का सर्वकालिक उच्चस्तर होगा.

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस के लिए आ गई अलग से हेल्थ पॉलिसी, बगैर चिंता किए करा सकेंगे इलाज

उत्पादन में भारी गिरावट, राजस्व में कमी से बढ़ेगा सरकार का कर्ज
आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने कहा कि उत्पादन में भारी गिरावट और इसके साथ राजस्व में कमी तथा उल्लेखनीय विवेकाधीन समर्थन से सरकार का कर्ज और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. गैस्पर ने कहा कि वैश्विक सार्वजनिक ऋण 2020-21 में अपने सर्वकालिक उच्चस्तर जीडीपी के 100 प्रतिशत से अधिक पर पहुंचने की आशंका है. एक साल पहले की तुलना में यह करीब 20 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं मसलन अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों में सार्वजनिक ऋण में अधिक बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. उन्होंने कहा कि इसके अलावा औसत कुल राजकोषीय घाटे के 2020 में जीडीपी के 14 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। यह पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत अंक अधिक होगा. उन्होंने कहा कि इससे पहले सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे में इतनी अधिक बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है.

यह भी पढ़ें: खरीफ फसलों की बुवाई में 44 फीसदी की बढ़ोतरी, 199 फीसदी बढ़ गया तुअर का रकबा

गैस्पर ने कहा कि आधुनिक और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वैश्विक सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटा उच्चस्तर पर पहुंचेगी, लेकिन इस दौरान इन देशों में ब्याज दरें रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहेंगी. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव के अभाव में ब्याज दरों के नीचे रहने के आसार हैं. इसके अलावा कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऋण तो उच्चस्तर पर होगा, लेकिन इनके भुगतान की लागत घटेगी. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सतर्कता बरतने की जरूरत है. गैस्पर का मानना है कि कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को दीर्घावधि का राजकोषीय दबाव झेलना पड़ सकता है। आईएमएफ के अधिकारी ने चेताते हुए कहा कि यदि वित्तीय स्थितियां और सख्त होती हैं, तो कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं का कर्ज का बोझ आगे खिसक सकता है. इससे उनके लिए कर्ज की लागत बढ़ जाएगी। ऐसा ही कुछ मार्च में देखने को मिला था. (इनपुट भाषा)

covid-19 coronavirus Fiscal Deficit Coronavirus Epidemic IMF International Monetary Fund Global Recession Global Public Debt Global Debt
Advertisment
Advertisment