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आईटी सेक्टर में छंटनी का दौर 2 साल रहेगा जारी, इंडस्ट्री के जानकारों की राय

आईटी इंडस्ट्री में छाए संकट के दिन अभी कुछ और दिन रहेंगे। डिजिटलाइजेशन और ऑटोमेशन के चलते इन्फोसिस, कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा जैसी बड़ी आईटी सेक्टर की कंपनियां बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं।

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Shivani Bansal
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आईटी सेक्टर में छंटनी का दौर 2 साल रहेगा जारी, इंडस्ट्री के जानकारों की राय

आईटी सेक्टर के कर्मचारी (फाइल फोटो)

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आईटी इंडस्ट्री में छाए संकट के दिन अभी कुछ और दिन रहेंगे। डिजिटलाइजेशन और ऑटोमेशन के चलते इन्फोसिस, कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा जैसी बड़ी आईटी सेक्टर की कंपनियां बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। 

ऐसे में इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों की मानें तो आईटी कंपनियों में छटनी का दौर करीब दो साल तक जारी रह सकता है। 

टीमलीज सर्विसेज की कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं सह संस्थापक रितुपर्णा चक्रवर्ती के मुताबिक, 'यह ऐसी स्थिति है जबकि उपलब्ध प्रतिभाएं समय के हिसाब में खुद में बदलाव नहीं ला पाईं। इस वजह से कई कर्मचारी आज बेकार हो गए हैं।' 

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वहीं, कार्यकारी खोज कंपनी ग्लोबलहंट के एमडी सुनील गोयल का कहना है, 'उद्योग में प्रत्येक तीन से पांच साल में इस तरह का बदलाव आता है, लेकिन इस बार इसने अधिक प्रभावित किया है क्योंकि अमेरिका ने भी विदेशी आईटी पेशेवरों के लिए अपनी नीति में बदलाव किया है।'

सुनील गोयल कहते है कि इस तरह का रुख अगले एक-दो साल तक जारी रहेगा। हालांकि, इसके साथ ही वह मानते हैं कि यह आईटी पेशेवरों के लिए खुद को अद्यतन कर नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी को अपनाने का अवसर भी है।

माना जा रहा है कि मुख्य रूप से मैनुअल टेस्टिंग, टेक्नॉलजी सपॉर्ट और सिस्टम ऐडमिनिस्ट्रेशन में कर्मचारियों को 'पिंक स्लिप' थमाई जा रही है, क्योंकि इन प्रक्रियाओं का प्रबंधन अब अधिक-से-अधिक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन से हो रहा है।

स्किल मैनेजमेंट सॉल्युशन प्रोवाइडर केलीओसीजी इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक फ्रांसिस पद्मादन का कहना है, 'आईटी कंपनियों में हमें इस तरह का बदलाव देखने को मिलेगा। हालांकि, कितने कर्मचारियों की छंटनी होगी इसका आंकड़ा देना मुश्किल है।'

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गौरतलब है कि संरक्षणवाद के दौर में विदेशी बाज़ार में घटते कारोबार के चलते आईटी कंपनियां प्रदर्शन के आधार पर कर्मचारियों को 'पिंक स्लिप' थमा रहीं है। अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों द्वारा वर्क वीजा नियमों में बदलाव के चलते भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यातक ख़ासे प्रभावित हुए हैं।

इसके अलावा विभिन्न तकनीकी मदद जैसे रोबोटिक एक्सेस, ऑटोमेशन और क्लाउड कंप्यूटिंग के कारण कंपनियों को मैन वर्क फोर्स की ज़रुरत भी कम हुई है। इसकी वजह से कंपनियां अब कई कार्य मशीनों की मदद से कर रही है। इन सबके चलते आईटी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बुरे दिन चल रहे हैं।

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Source : News Nation Bureau

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