भारत की विनिर्माण गतिविधियों (Manufacturing Activity) में अगस्त में वृद्धि दर्ज हुई है. कारोबारी परिचालन शुरू होने के बाद उत्पादन में सुधार, नए ऑर्डर तथा उपभोक्ता मांग बेहतर होने से विनिर्माण गतिविधियां भी बढ़ी हैं. आईएचएस मार्किट इंडिया का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अगस्त में बढ़कर 52 हो गया है. यह जुलाई में 46 पर था. इससे विनिर्माण क्षेत्र के परिचालन में सुधार का संकेत मिलता है. इससे पहले लगातार चार महीनों तक विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट आई थी. लगातार 32 माह तक वृद्धि दर्ज करने के बाद अप्रैल में यह इंडेक्स नीचे चला गया था.
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पीएमआई के 50 से ऊपर होने का मतलब गतिविधियों में सुधार
पीएमआई के 50 से ऊपर होने का मतलब गतिविधियों में सुधार से है, यदि यह 50 से नीचे रहता है, तो इसका आशय है कि गतिविधियां घटी हैं. आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा कि अगस्त के आंकड़े भारत के विनिर्माण क्षेत्र की सेहत में सुधार को दर्शाते हैं. घरेलू बाजारों की मांग बढ़ने से उत्पादन में सुधार हुआ है. हालांकि, नए ऑर्डर बढ़ने के बावजूद विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों में कटौती का सिलसिला जारी है. पटेल ने कहा कि हालांकि अगस्त में सभी कुछ सकारात्मक नहीं था. कोविड-19 की वजह से पैदा हुई अड़चनों के चलते आपूर्ति का समय बढ़ गया है। इस बीच, क्षमता पर दबाव के बावजूद नौकरियों में गिरावट जारी है. कंपनियों को अपने कामकाज के लिए उपयुक्त श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं.
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सर्वे में कहा गया है कि नए ऑर्डरों पर विदेशी निर्यात में कमी का असर पड़ा है. कंपनियों का कहना है कि विदेशी बाजारों की मांग कमजोर है. हालांकि, भारतीय विनिर्माताओं को मिले नए ऑर्डरों में फरवरी से सुधार आ रहा है. पटेल ने कहा कि मूल्य के मोर्चे पर आपूर्ति में कमी तथा परिवहन संबंधी विलंब के चलते कच्चे माल की लागत बढ़ी है, इससे अगस्त में उत्पादन की लागत बढ़ी है. सर्वे में कहा गया है कि भारतीय विनिर्माता अगले 12 महीनों को लेकर आशान्वित हैं. विनिर्माताओं को उम्मीद है कि इस दौरान कोविड-19 का दौर समाप्त हो जाएगा और ग्राहकों की मांग सुधरेगी.