जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट और देश की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन के बीच अब मोदी सरकार के सामने एक और बड़ी मुश्किल आ खड़ी हुई है. 17 सितंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष में टैक्स कलेक्शन लक्ष्य से काफी कम है. हालांकि न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस अवधि में टैक्स कलेक्शन जरूर बढ़ा है, लेकिन लक्ष्य के मुताबिक इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी है. बता दें कि पूरे वित्त वर्ष के लिए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 17.5 फीसदी और इनडायरेक्ट टैक्स के लिए 15 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है.
यह भी पढ़ें : बड़ी सफलता! भारतीय सुरक्षा बलों को 'हनीट्रैप' में फंसाने वाले ISI के कॉल सेंटर का भंडाफोड़
चालू वित्त वर्ष में 17 सितंबर तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 4.7 फीसदी बढ़कर 5.50 लाख करोड़ रुपये रहा है. पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में यह 5.25 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो सरकार के लक्ष्य के हिसाब से कम है. चालू वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही में अब चंद दिन ही बचे हैं. ऐसे में सरकार को लक्ष्य हासिल करने के लिए कलेक्शन की रफ्तार आगामी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में दोगुनी करनी पड़ेगी.
पीटीआई के अनुसार, 5.50 लाख करोड़ रुपये के टैक्स कलेक्शन में से एडवांस टैक्स कलेक्शन 7.3 फीसदी बढ़कर 2.20 लाख करोड़ रुपये पर है. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में एडवांस टैक्स कलेक्शन 2.05 लाख करोड़ रुपये रहा था. इस दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा उसके पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 77 फीसदी से आगे निकल चुका है. आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में राजकोषीय घाटा 5.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि पूरे वर्ष के लिए बजट में 7.03 लाख करोड़ रुपये रखा गया है.
यह भी पढ़ें : काशी में जब अर्थी को परिवार की बहू-बेटियों ने दिया कंधा, होने लगी हर तरफ चर्चा
बताया जा रहा है कि टैक्स कलेक्शन उम्मीद से कम रहने की वजह मांग में गिरावट और कुल वृद्धि में कमी है. ये आंकड़े ऐसे समय आए हैं जब आर्थिक मंदी की आहट से सरकार चौतरफा घिरी है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5 फीसदी पर आ गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो