साइरस मिस्त्री को एक और झटका, दायर याचिकाओं को एनएसएलटी ने सुनवाई के लायक भी नहीं माना

नेशलन कंपनी लॉ ट्रिब्युनल यानि एनसीएलटी ने साइरस मिस्त्री की टाटा संस के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को सुनवाई के लायक नहीं माना है।

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Shivani Bansal
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साइरस मिस्त्री को एक और झटका, दायर याचिकाओं को एनएसएलटी ने सुनवाई के लायक भी नहीं माना

एनएसएलटी से साइरस मिस्त्री को झटका (फाइल फोटो)

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नेशलन कंपनी लॉ ट्रिब्युनल यानि एनसीएलटी ने साइरस मिस्त्री की टाटा संस के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को सुनवाई के लायक नहीं माना है।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल ने कहा है कि साइरस मिस्त्री के पारिवारिक कंपनी टाटा संस के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुनवाई के लायक नहीं माना है क्योंकि यह कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की योग्यता संबंधी ज़रुरतों को पूरा नहीं करती।

साथ ही ट्रिब्युनल ने कहा कि मंगलवार को मिस्त्री की कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें 10 फीसदी हिस्सेदारी के मानदंड की आवश्यकता को हटाने पर भी विचार करेगी जो कि टाटा संस के खिलाफ एनएसएलटी में याचिका दायर करने के लिए कंपनी एक्ट के तह्त ज़रुरी है।

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डिवीज़न बेंच के बीएसवी प्रकाश कुमार (मेंबर-ज्युडिशियल) और वी नालासेनापथी (मेंबर-टेक्निकल) ने कहा है कि, 'मिस्त्री की कंपनियां कंपनीज़ एक्ट के तह्त कम से कम 10 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग की मानदंड पात्रता के मुद्दे पर हमें जवाब देने में असमर्थ रहीं है इसीलिए यह याचिकाएं सुनवाई के लायक नहीं मानी जाती है।'

टाटा संस ने इन याचिकाओं के खिलाफ एनएसएलटी में अपना पक्ष रखा। टाटा संस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, कंपनी में माइनोरिटी शेयरहोल्डर एनएसएलटी में कंपनी एक्ट के मुताबिक याचिका दायर करने के लिए योग्य नहीं माना जाता।

मिस्त्री की कंपनियों ने एक्ट के तह्त अनुरोध किया है कि, एनएसएलटी इस योग्यता को हटा सकती है। टाटा संस ने कहा है कि अगर प्रीफरेंस कैपिटल को भी माना जाए तो दो याचिका कंपनियां टाटा संस के कुल इश्यूड शेयर कैपिटल में सिर्फ 2.17 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है।

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कंपनी एक्ट इन शर्तों को हटाने के लिए ट्रिब्युनल को अधिकार भी देती है, लेकिन टाटा संस के मुताबिक क्योंकि याचिकाकर्ता ने याचिका दाखिल करते वक्त यह मांग नहीं रखी थी ऐसे में वो बीच में यह छूट नहीं मांग सकते।

दिसंबर 2016 में, दोनों कंपनियों ने एनएसएलटी के सामने टाटा संस के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री को अनौपचारिक रुप से हटाने के फैसले के खिलाफ अपील की थी।
याचिका में टाटा संस पर खराब प्रबंधन और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।

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Source : News Nation Bureau

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