टेलीकॉम कंपनी एयरसेल ने भारत को 15,500 करोड़ रुपये का चूना लगाकर खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। इसका मतलब यह है कि एयरसेल कई भारतीय बैंकों का अरबों रुपया अब नहीं चुकाएगी।
लेकिन ऐसी स्थिति में भारतीय नागरिकों के मन में सवाल है कि आखिर ये फर्जीवाड़ा कैसे हुआ और कौन इस कंपनी का मालिक है और आखिरकार कंपनी दिवालिया क्यों हो गई ?
कैसे हुआ अरबों का फर्जीवाड़ा?
न्यूज नेशन ने इन सभी सवालों के जवाबों का पता लगाने के लिए पिछले 12 सालों का रिकॉर्ड खंगाला।
भारतीय बैंकों को 15,500 करोड़ रूपये का चूना लगाने वाली कहानी का जो मुख्य सूत्रधार है, उनकी तारीफ कुछ ऐसी है। दरअसल इस कंपनी का मालिक 79 वर्षीय तत्पर आनंदम आनंद कृष्णन है जो मलेशिया का तीसरा सबसे अमीर इंसान है और जिनकी संपत्ति 6.5 अरब डॉलर है।
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2006 में मलेशिया की कंपनी मैक्सिस ने भारत की एयरसेल कंपनी को कौड़ियों के भाव सिर्फ एक बिलियन डॉलर में खरीद लिया था।
एक साल के अंदर उसी मैक्सिस ने अपनी मूल कंपनी की सिर्फ 25 फीसदी हिस्सेदारी 3 बिलियन डॉलर में सऊदी की कंपनी को बेच दी जिसमें ज्यादातर संम्पत्ति भारत से खरीदी गई एयरसेल कंपनी की ही थी।
न्यूज नेशन के वरिष्ठ पत्रकार मनोज गैरोला ने कहा, 'एसबीआई बैंक और अन्य बैंकों ने 10000 हजार करोड़ का लोन इस कंपनी को दिया और इस 10000 हजार करोड़ रुपये के कर्जे के बदले में एयरसेल ने बैंक को जो गारंटी दी थी वह सिर्फ स्पेक्ट्रम की गारंटी थी। स्पेक्ट्रम कंपनी को 'पहले आओ और पहले पाओ' के आधार पर मिला था। उस समय भी स्पेक्ट्रम की कीमत 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की नहीं थी।'
ऐसा लगता है कि मैक्सिस के मालिक टी आनंद कृष्णन ने भारतीय कंपनी एयरसेल की खरीद के साथ पूरा कारोबार ही फ़र्जीवाड़े की नीयत से किया था क्योंकि आनंद कृष्णन ने फर्ज़ीवाड़े से मूल मैक्सिस कंपनी को बचाने के लिए भी बखूबी चाल चली।
आनंद कृष्णन की बड़ी चाल
आनंद कृष्णन को पता था कि उसने भारत के बैंकों से जो भारी भरकम कर्ज लिया है, उसे चुका नहीं पाएंगे और ऐसे में उनकी मूल मैक्सिस कंपनी कहीं न फंस जाए उसके लिए उन्होंने बड़ी चाल चली।
आनंद कृष्णन ने मलेशिया में अपनी मैक्सिस कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज से डिलिस्ट करा दिया। इसके बाद उन्होंने मैक्सिस को 2 हिस्सों में बांट दिया जिसमें एक मलेशिया ऑपरेशंस बना और दूसरा इंडियन ऑपरेशंस।
मलेशिया ऑपरेशंस वाली कंपनी को उन्होंने फिर से स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करा लिया और इंडियन ऑपरेशंस को लावारिस छोड़ दिया।
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आनंद कृष्णन की यह चाल कामयाब हो गई क्योंकि हिंदुस्तान में जब एयरसेल की हालत डगमगाने लगी तब एयरसेल के खिलाफ केस दाखिल हुआ और कार्रवाई शुरू हुई।
कृष्णन पर कैसे कसेगा शिकंजा
एयरसेल-मैक्सिस डील को लेकर 29 अगस्त 2014 को सीबीआई ने चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में टी आनंद कृष्णन का भी नाम था। इसके बाद 29 अक्टूबर 2014 को स्पेशल कोर्ट ने आनंद कृष्णा के नाम समन जारी किया जिसका कोई जवाब नहीं मिला।
16 मार्च 2015 को फिर से समन जारी हुआ लेकिन कोई जवाब नहीं आया। 3 अगस्त 2015 को फिर से समन जारी हुआ लेकिन कृष्णन ने तवज्जो नहीं दी। 7 दिसंबर 2015 को चौथा समन जारी हुआ लेकिन कृष्णन ने कोई जवाब नहीं दिया।
जुलाई 2016 में पांचवें समन पर हाज़िर नहीं होने के बाद आनंद कृष्णन के खिलाफ सितंबर 2016 में गिरफ्तारी वारंट निकाला।
बैंकिंग एक्सपर्ट मधुकर ने कहा, 'कोई भी चीज राजनीति के बिना नहीं होती है। यह नेक्सस बहुत ही बड़ा है और तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है।'
कई समन और गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद आनंद कृष्णन को पकड़ा नहीं जा सका।
जनवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एयरसेल का स्पेक्ट्रम लाइसेंस छीनने की बात कही लेकिन बैंकों ने अर्जी दी कि अगर एयरसेल का बिजनेस बंद हुआ तो उनके कर्ज़ की वापसी मुश्किल हो जाएगी। फिलहाल यह मामला अदालत में ही है और अब कंपनी दिवालिया हो चुकी है।
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Source : News Nation Bureau