नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने देश की अर्थव्यवस्था में विकास दर की गिरावट के लिए नोटबंदी के बदले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की बैंकिंग नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। राजीव कुमार ने सोमवार को सीधे तौर पर कहा कि गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) पर रघुराम राजन की नीतियों के कारण विकास दर में गिरावट हुआ। इसमें सरकार द्वारा नवंबर 2016 में किए गए नोटबंदी का कोई योगदान नहीं है।
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, '2015-16 से पिछली 6 तिमाही में गिरावट का ट्रेंड रहा, जबकि उस वक्त विकास दर 9.2 फीसदी के उच्च स्तर पर था। यह नोटबंदी के कारण नहीं हुआ। विकास दर में गिरावट बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते एनपीए के कारण हुआ। जब नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आई तो एनपीए 4 लाख करोड़ रुपये थे। यह 2017 के मध्य तक 10.5 लाख करोड़ रुपये हो गए क्योंकि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ते एनपीए को पहचानने के लिए नई प्रणाली गठित की थी।'
राजीव कुमार ने कहा, 'यह लगातार बढ़ता रहा। बढ़ते एनपीए के कारण बैंकों ने इंडस्ट्री को उधार देना बंद कर दिया था। देखा जाय तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए कर्ज बिल्कुल सिकुड़ कर रह गया जिससे कुछ सालों में यह नकारात्मक विकास दर में चला गया।'
कुमार ने कहा कि आर्थिक विकास दर में गिरावट और नोटबंदी के बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, 'विकास दर में गिरावट ट्रेंड के कारण है न कि नोटबंदी के कारण जैसा कि बताया जा रहा है। मेरा मानना है कि विकास दर में गिरावट और नोटबंदी के बीच प्रत्यक्ष संबंध का कोई प्रमाण नहीं है।'
राजीव कुमार ने कहा, 'बड़े स्तर की इंडस्ट्री के लिए भी क्रेडिट ग्रोथ कुछ महीनों में 1% से 2.5% के बीच नीचे आ गई।'
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नोटबंदी पर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट पर राजीव कुमार ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में बेनामी संपत्ति और काले धन पर कड़ा प्रहार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी से आयकर जमा करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
Source : News Nation Bureau