नोटबंदी से लाखों करोड़ रुपये राजकोषीय तथा टैक्स लाभ के सरकार के दावों पर सवालिया निशान उठाते हुए घरेलू ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि सरकार को इस पूरी कवायद से महज 72,800 करोड़ रुपये के ही फायदे की संभावना है।
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 32,800 करोड़ रपये टैक्स और जुर्माने से मिलेंगे जबकि 40,000 करोड़ रुपये की रकम आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की तरफ से सरप्लस के ट्रांसफर से मिलेंगे।
नोटबंदी के बाद एसबीआई की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया था कि सरकार के इस फैसले के बाद करेंसी मार्केट में करीब 3 लाख करोड़ रुपये की रकम वापस नहीं आएगी। आरबीआई के मुताबिक 8 नवंबर को 15.55 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1,000 के नोट बंद किए गए।
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आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में रिजर्व बैंक ने कहा है कि बंद किए गए नोट 20.51 लाख करोड़ रुपये के हैं। घरेलू ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह शुरुआती अनुमानों की तुलना में काफी कम, 40,000 करोड़ रुपये ही होगा। इसका मतलब यह हुआ कि रद्द की गई मुद्रा का 3.5 पर्सेंट बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं लौटेगा।
रिजर्व बैंक ने 10 दिसंबर के बाद जमा किए गए नोटों का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है, लेकिन चलन में मौजूद मुद्रा तथा 19 दिसंबर तक आपूर्ति किए गए नोटों के आधिकारिक आंकड़ों की गणना से पता चलता है कि 15 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट आए हैं।
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HIGHLIGHTS
- नोटबंदी से सरकार को महज 72,800 करोड़ रुपये के ही फायदे की संभावना है
- ब्रोकरेज एजेंसी मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी से सरकार को महज 72,800 करोड़ रुपये के फायदे की संभावना है
Source : News State Buraeu