देश के सरकारी बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में 1.20 लाख करोड़ रुपये के बुरे कर्ज या गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) को बट्टे खाते में डाल दिए। यह वित्त वर्ष 2017-18 में इन बैंकों को हुए कुल नुकसान का करीब डेढ़ गुणा (140 फीसदी) है।
वहीं सरकारी और निजी बैंकों को मिलाकर वित्त वर्ष 2017-18 में 1.44 लाख करोड़ रुपये की राशि को बट्टे खाते में डाला गया। जिसमें निजी बैंकों की हिस्सेदारी 23,928 करोड़ रुपये है।
बता दें कि बैंक उन कर्जों को बट्टे खाते में डालता है जिसकी वसूली करना बैंकों के लिए मुश्किल हो जाता है। बट्टे खाते में डालने के बाद यह फंसे कर्ज बैंक के बैंलेंस शीट से बाहर चला जाता है।
पिछले साल हुए भारी नुकसान के बाद इतनी बड़ी राशि को बट्टे खाते में डालना खराब हालत से जूझ रहे सरकारी बैंकों के लिए दोगुनी समस्या खड़ी करने वाली है।
यह इस दशक में पहली बार हुआ है कि सरकारी बैंकों ने फंसे कर्जों की इतनी बड़ी रकम को बट्टे खाते में डाला है।
आंकड़ों के अनुसार, साल 2016-17 तक 21 सरकारी बैंकों ने संयुक्त रूप से लाभ कमाए थे लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 में इन बैंकों को 85,370 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हुआ है।
2016-17 के दौरान, सरकारी बैंकों ने संयुक्त रूप से 473.72 करोड़ का लाभ कमाते हुए 81,683 करोड़ रुपये रकम को बट्टे खाते में डाला था।
वित्त वर्ष 2017-18 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अकेले 40,196 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला है जो कि साल 2017-18 में बट्टे खाते में डाले गए कुल रकम का करीब 25 फीसदी है।
वहीं कैनरा बैंक ने 8,310 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक ने 7,407 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 4,948 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला है।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के द्वारा दिए गए डेटा के अनुसार, इंडियन ओवरसीज बैंक ने 10,307 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया ने 9,093 करोड़, आईडीबीआई बैंक ने 6,632 करोड़ और इलाहाबाद बैंक ने 3,648 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में बैंकों ने 34,409 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला था। पिछले पांच सालों में यह आंकड़ा चार गुणा बढ़ गया।
बता दें कि 2014-15 में सरकारी बैंकों ने 49,018 करोड़ रुपये, 2015-16 में 57,585 करोड़ रुपये, 2016-17 में 81,683 करोड़ रुपये और 2017-18 में 1.20 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले।
गौरतलब है कि भारतीय बैंक फंसे हुए कर्ज यानी कि एनपीए की बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। दिसंबर 2017 तक भारतीय बैंकों में 8.31 लाख करोड़ रुपये का एनपीए हो चुका है।
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HIGHLIGHTS
- वित्त वर्ष 2017-18 में बैंकों ने 1.44 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल दिए
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अकेले 40,196 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला है
- 2017-18 में सरकारी बैंकों को 85,370 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हुआ है
Source : News Nation Bureau