केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आई-टी रिटर्न दाखिल करने के लिए नियत तारीखों के और विस्तार की प्रतीक्षा कर रहे सभी करदाताओं की उम्मीदों को धराशायी करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में 'अनिश्चितकाल' देरी नहीं की जा सकती. इससे कर विभाग की कार्यप्रणाली और सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न हो सकती है. इस निर्णय का अर्थ है कि व्यक्तिगत करदाता जो रिटर्न भरने के लिए 10 जनवरी की समय सीमा से चूक गए हैं, उन्हें अब इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जुर्माना देना पड़ सकता है. इसी तरह, जिन करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने से पहले ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करनी होगी, उन्हें 15 जनवरी तक ऐसा करना होगा और 15 फरवरी तक अपना रिटर्न दाखिल करना होगा.
आयकर विभाग ने रिटर्न भरने की तारीखों को आगे बढ़ाने के लिए कई अभ्यावेदन(रिप्रेजेंटेशन) प्राप्त किए थे, क्योंकि महामारी की वजह से व्यवधान के कारण समस्याएं पैदा हो रही थीं. यह सुझाव था कि सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए तारीखों को बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया जाए. बोर्ड ने यह भी कहा कि भारत अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक उदार रहा है.
इसके अलावा, इस साल दाखिल किए गए रिटर्न के आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि संख्या पिछले साल की तुलना में अधिक है. 2019-20 में, नियत तिथि तक लगभग 5.62 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए थे और इस वर्ष (2020-21) 10 जनवरी तक पहले से ही 5.95 आईटीआर दायर किए गए हैं.
सीबीडीटी ने अपने आदेश में कहा कि आगे कोई भी विस्तार रिटर्न फाइलिंग अनुशासन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और उन लोगों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने नियत समय से पहले रिटर्न फाइल करने के लिए कष्ट सहे हैं. कार्यालय के आदेश में कहा गया है कि समयसीमा विस्तार करने से कोविड के समय में गरीबों को राहत देने के सरकार के प्रयासों में भी बाधा आएगी.
Source : IANS