कच्चे तेल में नरमी के आसार, और घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम

जानकार बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य फिलहाल कच्चे तेल में नरमी का संकेत देता है, लेकिन यह नरमी अल्पावधि के लिए होगी, क्योंकि ईरान चार अक्टूबर से अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद परिदृश्य में बदलाव आने की संभावना है.

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Deepak Kumar
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कच्चे तेल में नरमी के आसार, और घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम

पेट्रोल-डीजल के दामों में आने वाले समय में और होगी कमी (फाइल फोटो)

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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विगत दिनों कच्चे तेल के दाम में आई नरमी से त्योहारी सीजन में भारतीय उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है. पेट्रोल और डीजल के दाम में रोज कमी हो रही है. वाहन ईंधन सस्ता होने से आगे माल-भाड़ा में कमी आएगी, जिसके फलस्वरूप जरूरत की वस्तुएं सस्ती होंगी. जानकार बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य फिलहाल कच्चे तेल में नरमी का संकेत देता है, लेकिन यह नरमी अल्पावधि के लिए होगी, क्योंकि ईरान चार अक्टूबर से अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद परिदृश्य में बदलाव आने की संभावना है.

इसके अलावा, सर्दियों में अमेरिका में कच्चे तेल की खपत मांग बढ़ने और गिरावट पर चीन की खरीदारी बढ़ने की सूरत में दोबारा तेजी का रुख बन सकता है. 

पिछले 21 दिनों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल का भाव करीब 11 डॉलर प्रति बैरल टूट चुका है और तेल बाजार विश्लेषक फिलहाल नरमी रहने की उम्मीद कर रहे हैं. ऐसे में पेट्रोल और डीजल के भाव में और कमी आ सकती है.

एंजेल ब्रोकिंग के ऊर्जा विशेषज्ञ अनुज गुप्ता ने बताया कि कच्चे तेल के दाम में जो पिछले कुछ दिनों से गिरावट आई है वह मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर सुस्त रहने के अनुमान के बाद तेल की खपत में कमी आने के अंदेशे से प्रेरित है.

उन्होंने कहा, 'बहरहाल, अमेरिका में तेल भंडार में इजाफा होने से भी कीमतों में सुस्ती आई. उधर, सऊदी अरब ने भी तेल का उत्पादन बढ़ाने की बात कही है.'

अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इन्फोरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार 63 लाख बैरल की बढ़त के साथ 42.27 करोड़ बैरल हो गया. पिछले पांच सप्ताह से लगातार अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में इजाफा हो रहा है.

गुप्ता ने कहा, 'लेकिन मुख्य वजह खपत में कमी आने की आशंका है जो अभी बनी रहेगी और निकट भविष्य में तेल के दाम में नरमी बनी रह सकती है.'

उन्होंने कहा कि ब्रेंट क्रूड में निकट भविष्य में 72-74 डॉलर प्रति बैरल के बीच कारोबार देखने को मिल सकता है. वहीं, डब्ल्यूटीआई में 62-63 डॉलर तक लुढ़क सकता है.

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर गुरुवार को अपराह्न् 15.41 बजे नवंबर डिलीवरी कच्चा तेल सौदा 35 रुपये यानी 0.71 फीसदी की कमजोरी के साथ 4,903 रुपये प्रति बैरल पर बना हुआ था, जबकि इससे पहले सत्र के दौरान भाव 4,853 रुपये प्रति बैरल तक लुढ़का. बीते बीस दिन में एमसीएक्स पर कच्चे तेल के भाव में करीब 700 रुपये प्रति बैरल की कमी आई है.

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का दिसंबर अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले गुरुवार को तकरीबन सपाट 76.22 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, लेकिन इससे पहले दिन के कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड का भाव लुढ़ककर 75.36 डॉलर तक आ गया था, जोकि बीते करीब तीन महीने का निचला स्तर है.

पिछले 21 दिनों में ब्रेंट क्रूड के दाम में 11 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. तीन अक्टूबर को ब्रेंट क्रूड का भाव 86 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया था.

न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का दिसंबर डिलीवरी अनुबंध गुरुवार को पिछले सत्र के मुकाबले 0.10 फीसदी की गिरावट के साथ 66.75 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. इससे पहले वायदा अनुबंध 66 डॉलर तक लुढ़का. मालूम हो कि डब्ल्यूटीआई का भाव भी तीन अक्टूबर को 76 डॉलर से ऊपर चला गया था. 

गुप्ता ने हालांकि लंबी अवधि में फिर तेजी आने की बात कही. उन्होंने कहा कि अमेरिका में सर्दियों में तेल की खपत बढ़ने से कीमतों में मजबूती आएगी. इसके अलावा, कच्चे तेल के भाव में गिरावट पर चीन अपनी खरीदारी बढ़ा सकता है.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल में नरमी आने से बीते आठ दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 1.73 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ है. वहीं, डीजल का दाम 89 पैसे प्रति लीटर कम हुआ है. 

पेट्रोल और डीजल की महंगाई से लोगों को राहत दिलाने के लिए चार अक्टूबर को केंद्र सरकार ने तेल के दाम में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी जिसके बाद दिल्ली में पांच अक्टूबर को पेट्रोल का दाम घटकर 81.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल 72.95 रुपये प्रति लीटर हो गया था.

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केंद्र सरकार की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी शासित कई राज्यों ने भी तेल पर मूल्य वर्धित कर यानी वैट में कटौती की थी.

Source : IANS

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