अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित आर्थिक परिषद की पहली बैठक बुधवार को होनी है। 25 सिंतबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक परिषद कमेटी का गठन किया था।
इस कमेटी में पांच सदस्य है और कमेटी का चेयरमैन अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय को बनाया गया है। इस बैठक में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहाकार अरविंद सुब्रहमण्यम के भी शामिल होने की उम्मीद है।
इसके अलावा ईएसी के अध्यक्ष नीति आयोग के सदस्य विबेद देबरॉय के अलावा सुरजीत भल्ला, रातिन रॉय, आशिमा गोयल और नीति आयोग के मुख्य एडवाइज़र रतन वताल शामिल होंगे।
PM मोदी को आखिर क्यों करना पड़ा आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन ?
सरकार ने मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि बुधवार की बैठक से पहले ईएसी-पीएम ने सोमवार को 'हितधारकों के साथ एक विचारविमर्श' के लिए सत्र आयोजित किया था। ईएसी का गठन यूपीए सरकार जाने के तीन साल के बाद अब मोदी सरकार ने किया है।
नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों के बाद वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में गिरी जीडीपी के आंकड़ों ने मोदी सरकार के अर्थ प्रबंधन पर सवालिया निशान लगा दिए थे।
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ईएसी के सामने प्रमुख चुनौती गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने की होगी। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में जीडीपी की दर 5.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी जोकि बीते तीन सालों का निम्मतम स्तर है।
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आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को विपक्ष के साथ अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा रहा है।
एनडीए सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख के जरिए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए थे। इसके बाद अरुण शौरी ने भी नोटबंदी को मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम बताया था।
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Source : News Nation Bureau