केंद्र सरकार एक ऐसी योजना पर विचार कर रही है जिसके तह्त शहरों में आने वाले प्रवासी लोगों को सरकारी संस्थाओं से मकान किराए पर लेने की सुविधा मिलेगी।
इतना ही नहीं मोदी सरकार की इस नई हाउस रेंटल पॉलिसी के तह्त यह लोग भविष्य में अपने इसी किराये के मकान को आसान किस्तों में पूरी कीमत चुकाकर खरीद भी सकेंगे।
इस स्कीम का नाम रेंट टू ऑन दिया गया है और इसे केंद्र सरकार की नेशनल अर्बन रेंटल हाउसिंग पॉलिसी के तहत लॉन्च करने का प्रस्ताव है। जल्द ही यह एक्ट कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय शहरी विकास एंव आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने दी।
योजना के अंतर्गत सरकार निजी जमीन पर बने मकानों को खरीदने के लिए गरीब लोगों को डेढ़ लाख रुपये की सब्सिडी देने पर भी विचार कर रही है।
अभी तक यह छूट राज्य सरकारों एवं निकायों की जमीन पर बने आवासों पर ही दी जाती थी। लेकिन अब केंद्रीय वेंकैया नायडू ने कहा है कि निजी बिल्डरों की ओर से शुरु किए गए अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स भी इसमें शामिल होंगे।
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प्राइवेट डिवेलपर्स की ओर से लॉन्च किए गए अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के उद्घाटन के बाद से ही मंत्रालय इस बारे में विचार कर रहा था।
2022 तक सबको घर प्रदान करने वाली सरकार की कोशिश के तह्त सरकार रेंट टू ऑन ऐक्ट लाने की तैयारी में है। इसकी अधिसूचना जारी किए जाने के बाद राज्य इस पर काम कर सकेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2022 तक सभी को आवास मुहैया कराने के सरकार के लक्ष्य के तहत यह बड़ी स्कीम होगी। इस स्कीम के तहत शहरों में पलायन कर आने वाली बड़ी आबादी के लिए उचित आवास की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखा गया है।
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क्या है स्कीम
योजना के तहत शुरु के तय समय के लिए घर लीज़ पर ले सकेंगे। इसके एवज में घर खरीदने वाले को हर महीने तय ईएमआई बतौर किराया राशि बैंक में जमा करनी होगी।
इस जमा राशि का कुछ अंश बतौर किराया सरकार लेगी बाकि हिस्सा बैंक में जमा होगाष जब ईएमआई की राशि घर की कीमत के 10 प्रतिशत तक हो जाएगी तब मकान उस व्यक्ति के नाम रजिस्टर हो सकेगा।
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अगर लीज़ पर लेने के बाद व्यक्ति रकम जमा नहीं कर पाता है तो सरकार के पास यह मकान किसी और को बेचने का विकल्प होगा। साथ ही किराये के साथ जमा की जाने वाली राशि भी किरायेदार को बिना ब्याज के वापस लौटा दी जाएगी।
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Source : News Nation Bureau