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चालू वित्त वर्ष में उर्वरक पर सब्सिडी 1.65 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचेगी

चालू वित्त वर्ष में उर्वरक पर सब्सिडी 1.65 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचेगी

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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कच्चे माल की लागत में तेज बढ़ोतरी के कारण केंद्र का उर्वरक सब्सिडी बिल चालू वित्त वर्ष में 1.65 लाख करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर को छू सकता है, जबकि इसके लिये बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है।

क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, पिछले दो वित्त वर्षों में केंद्र ने 1.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया है और बजट में सब्सिडी को बढ़ाया है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सब्सिडी में बढोतरी को लेकिन कच्चे माल की लागत में तेजी निष्प्रभावी कर रही है। इस वित्त वर्ष सरकार को और हस्तक्षेप करने की जरूरत होगी। ऐसा नहीं करने से इस वित्त वर्ष के अंत तक सब्सिडी का बकाया 75,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जायेगा।

क्रिसिल के निदेशक नितेश जैन ने कहा, 85 प्रतिशत से अधिक सब्सिडी बकाया उर्वरक का है। इसका कारण यह है कि उर्वरक संयंत्रों के लिये जरूरी घरेलू गैस और आयातित एलएनजी की कीमत गत वित्त वर्ष 75 प्रतिशत से अधिक बढ़ गयी थी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके अधिकतर समय तक बढ़े रहने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, यूरिया की खुदरा कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, जिससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ रहा है।

फिलहाल यूरिया का खुदरा बिक्री मूल्य सरकार तय करती है। सरकार किसानों को बेहतर फसल उपज के लिये उर्वरकों का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खुदरा कीमत को बाजार दर से काफी कम रखती है और सब्सिडी भुगतान के माध्यम से यूरिया निमार्ताओं को शेष राशि का भुगतान करती है।

क्रिसिल ने कहा, हालांकि, यह काफी हद तक यूरिया निमार्ताओं के लाभप्रदता की रक्षा करता है लेकिन बढ़ती लागत के बावजूद खुदरा कीमतों के अपरिवर्तित रहने का मतलब यह होगा कि सरकार को एक बड़ा सब्सिडी बिल देना होगा।

इसी तरह गैर-यूरिया उर्वरकों के लिये जरूरी फॉस्फोरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट की कीमतें भी पिछले 12 महीनों में मार्च 2022 तक क्रमश: 92 प्रतिशत और 99 प्रतिशत बढ़ी हैं।

गैर-यूरिया निमार्ताओं ने कीमतों में बढ़ोतरी की है लेकिन यह लागत में वृद्धि को कवर करने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकता है। गैर-यूरिया उर्वरक निमार्ताओं को सरकार पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों के अनुसार सब्सिडी का भुगतान करती है। चालू वित्त वर्ष के लिये अभी इसकी घोषणा नहीं की गयी है।

इसके अलावा क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उर्वरकों की मांग में तीन प्रतिशत की वृद्धि और कच्चे माल और उर्वरक की कीमतों में कमी का अनुमान लगाया है।

क्रिसिल ने कहा, अगर मांग उम्मीद से अधिक रहती है या इनपुट लागत दूसरी छमाही में भी नरम नहीं होती है तो सब्सिडी बिल 1.8-1.9 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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