कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) और अर्थव्यवस्था (Economy) के हालात को लेकर मोदी सरकार (Modi Government) पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने अपने ताजा ट्वीट में लिखा है कि बैंक और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) मुसीबत में हैं. उन्होंने सरकार के ऊपर आरोप लगाया कि मौजूदा समय में जो महंगाई है वह इससे पहले कभी इतनी ज्यादा नहीं थी.
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उसके अलावा उन्होंने बेरोजगारी के मसले पर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि जनता का मनोबल टूट रहा है और सामाजिक न्याय प्रतिदिन कुचला जा रहा है. हालांकि वह यह बयान ऐसे समय में दे रहे हैं जब कांग्रेस ने महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया हुआ है.
बैंक मुसीबत में हैं और GDP भी। महँगाई इतनी ज़्यादा कभी नहीं थी, ना ही बेरोज़गारी। जनता का मनोबल टूट रहा और सामाजिक न्याय प्रतिदिन कुचला जा रहा है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 18, 2020
विकास या विनाश?
पिछले साल शरद पवार, अजीत पवार के खिलाफ ED ने दर्ज किया था मामला
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार, उनके भतीजे अजीत पवार और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. बता दें कि महराष्ट्र सहकारी बैंक में कथित अनियमितताओं के संबंध में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर यह मामला आधारित है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार और अजीत पवार सहित जिन 70 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. FIR में शिवसेना के आनंदराव अदसुल, पीडबल्यूपी के जयंत पाटिल, कांग्रेस के दिलीपराव देशमुख और मदन पाटिल, एनसीपी के ईश्वरलाल जैन और शिवाजीराव नालावाड़े का नाम भी शामिल हैं. महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के बैंक अधिकारियों को भी 2007 से 2011 के बीच हुए इस घोटाले में आरोपी बनाया गया था.
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मंता अर्बन कोआपरेटिव बैंक पर 6 महीने के लिए पाबंदी, लक्ष्मी विलास बैंक से 25,000 रुपये तक कैश निकाल सकेंगे ग्राहक
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोआपरेटिव बैंक (Mantha Urban Co Operative Bank) पर धन के भुगतान और कर्ज के लेन देन को लेकर 6 महीने के लिए पाबंदी लगा दी है. केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में बताया कि उसने इस बैंक को कुछ निर्देश दिए हैं, जो 17 नवंबर 2020 को बैंक बंद होने के बाद से छह माह तक प्रभावी होंगे.
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इस पहले सरकार ने वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी है. इसके तहत बैंक के खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेंगे. इसके साथ ही सरकार ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की योजना की भी घोषणा की. बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.