रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मंगलवार को इंफोसिस के के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी को भारत में डिजिटल भुगतानों से जुड़ी एक उच्च-स्तरीय कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. नीलेकणी डिजिटल भुगतानों को और अधिक सशक्त बनाने व इसके आकलन के लिए 5 सदस्यों की एक समिति की अध्यक्षता करेंगे. यह समिति अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और वित्तीय समावेशन बढ़ाने के उपाय सुझाएगी. समिति अपनी पहली बैठक के 90 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
आरबीआई ने एक बयान में कहा, 'भुगतान के डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करने और इसके माध्यम से वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति के गठन का फैसला किया है.'
इस समिति में नीलेकणी के अलावा आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एच आर खान, विजया बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी किशोर सांसी, सूचना प्रौद्योगिकी और इस्पात मंत्रालय के पूर्व सचिव अरुणा शर्मा और आईआईएम अहमदाबाद के मुख्य नवोन्मेष अधिकारी संजय जैन शामिल हैं.
बता दें कि डिजिटल भुगतान क्षेत्र के नियमन के लिए पूर्व वित्त सचिव रतन वाटल की अध्यक्षता में मंत्री-स्तरीय कमिटी द्वारा एक स्वतंत्र भुगतान नियामक बोर्ड (पीआरबी) के गठन की सिफारिशों बाद यह फैसला लिया है. वाटल की अध्यक्षता में समिति ने दो साल पहले ही सुझाव दिया था कि डिजिटल भुगतान के लिए एक अलग नियामक बनाया जाय.
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मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में तत्कालीन वित्त सचिव रतन वाटल की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ एक स्वंतत्र नियामक बनाने की बात कही थी लेकिन आरबीआई ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी.
नीलेकणी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईएडीआई) यानी आधार के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह इस समिति की अगुवाई करेंगे, जो 'देश में भुगतान की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूदा अंतराल की पहचान और उन्हें पाटने के तरीके सुझाएगी.'
Source : News Nation Bureau