भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के समाधान पर अंतिम निर्णय लेने के लिए तय की गई छह महीने की समयसीमा सोमवार को समाप्त हो गई। आरबीआई ने करीब 70 बड़े कर्ज वाले खातों के 3.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए का समाधान करने के लिए छह महीने की समयसीमा तय की थी।
आरबीआई ने फरवरी में बैंकों के फंसे हुए कर्ज का पुनर्गठन करने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें केंद्रीय बैंक ने बैंकों को उन परियोजनाओं को चिन्हित करने को कहा था, जिनमें दबाव वाली परिसंपत्तियों के रूप में एक दिन की भी चूक हुई हो और उनका समाधान 180 दिनों के भीतर करने का निर्देश दिया गया था।
आबीआई के सर्कुलर में बैंकों को निर्देश दिया गया था कि एक मार्च, 2018 से लेकर 180 दिनों के भीतर समाधान नहीं होने वाले 2,000 करोड़ और उससे ऊपर की रकम वाले खातों को वे नए ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया कोड के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास ले जाएं।
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देसी रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने हालिया रपट में कहा कि 70 बड़ी रकम वाले अधिकांश एनपीए खाते बिजली, दूरसंचार और निर्माण क्षेत्र से जुड़े हैं।
बैंकिंग सूत्रों के अनुसार, इन खातों की समाधान योजनाओं पर अंतिम निर्णय लेने के लिए बैंक अतिरिक्त समय तक काम करता रहा है, ताकि उनके लिए दिवालिया के मामले को लेकर एनसीएलटी कार्यवाही की नौबत न आए।
एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि देश का सबसे बड़ा ऋणदाता, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपने दबाव वाले खाते से चालू वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये की वसूली की उम्मीद कर रहा है।
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एसबीआई के प्रबंध निदेशक (स्ट्रेस्ड एसेट्स रिजॉल्यूशन समूह) पल्लव महापात्रा ने कहा कि एसबीआई को चालू वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम की वसूली होने की उम्मीद है, जिनमें अधिकांश वसूली आईबीसी के जरिए हो सकती है। उन्होंने कहा कि बहुत कम फीसदी में रकम परिसंपत्तियों की बिक्री और एकबार समाधान के माध्यम से वसूल हो पाएगी।
Source : IANS