नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और अंतरराष्ट्रीय संस्था मूडीज की आशंकाओं को धता बताते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शशिकांत दास ने कहा है कि आने वाले पांच वर्षो में देश की अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने बैंक उद्योगों को छूट देना जारी रखेगा. दास ने कहा कि बीती तिमाही में दर्ज की गई जीडीपी की सुस्ती अस्थाई है और वित्त वर्ष के अंत तक भारतीय अर्थव्यवस्था इससे उबरकर सात फीसदी के करीब ग्रोथ रेट दर्ज करेगी.
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मांग में तेजी लाना सर्वोच्च प्राथमिकता
आरबीआई गवर्नर सिंगापुर में भारतीय बिजनेस कम्युनिटी से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वित्तीय सेक्टर में सुधार होगा, मांग में तेजी आएगी. कंपनियों की बैलेंस शीट सुधरेगी और इसका सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. उनके मुताबिक मांग में तेजी लाना इस समय रिजर्व बैंक और सरकार दोनों की प्राथमिकता है.
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ढांचागत सुधारों पर हो रहा काम
दास ने कहा कि कुछ ढांचागत सुधारों की जरूरत है और मुझे खुशी है कि इसपर काम किया जा रहा है. इस वित्त वर्ष के बाकी बचे समय में सरकार सार्वजनिक खर्च बढ़ाएगी, जिससे इकोनॉमी में सुधार आएगा. दास ने भारत की अर्थव्यवस्था में घरेलू बचत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में घरेलू बचत जीडीपी का 17.2 परसेंट रही, जबकि शुद्ध वित्तीय बचत की हिस्सेदारी सिर्फ 6.6 परसेंट थी.
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रेपो रेट का लाभ मिलेगा
रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट कम करने पर उनका कहना था कि हमने सुनिश्चत किया कि उपभोक्ताओं को जल्द से जल्द रेट कट का लाभ मिल सके. इसके लिए हम लगातार बैंकों के साथ संपर्क में हैं. दास ने बताया कि एनबीएफसी अच्छा प्रदर्शन भले ही ना कर रहे हों, लेकिन दूसरे सेक्टरों की बैलेंस शीट अच्छी है और उनका प्रदर्शन भी बेहतर है. एनबीएफसी में सुधार के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसका परिणाम जल्द ही सामने आएगा.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो.