भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार के बीच तनाव लगाता बढ़ता जा रहा है. सूत्रों को कहना है कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल इसके चलते इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं. उधर भारतीय रिजर्व बैंक में स्वायत्तता को लेकर उठे विवाद के बीच बुधवार को सरकार ने एक बयान जारी अपना पक्ष स्पष्ट किया है. बयान में कहा गया है कि सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान करती है और समय समय पर इसे बढ़ाया गया है.
वित्त मंत्रालय ने जारी किया बयान
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ''रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत रिजर्व बैंक की स्वायत्तता संचालन के लिए आवश्यक और स्वीकार्य जरूरत है. भारत सरकार ने इसका सम्मान करती है और इसे बढ़ाया ही गया है. बयान के अनुसार मंत्रालय ने कहा है कि रिजर्व बैंक और सरकार दोनों को अपनी कार्यप्रणाली में सार्वजनिक हित तथा देश की अर्थव्यवस्था की जरूरतों से निर्देशित होती हैं. उसने कहा, ''इसी उद्देश्य के लिए विभिन्न मुद्दों पर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच गहन विचार-विमर्श होता रहता है.
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निर्देश देने की बात का नहीं है जिक्र
हालांकि, बयान में इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ असहमति को लेकर गवर्नर उर्जित पटेल को निर्देश देने के लिए अब तक कभी इस्तेमाल नहीं की गई शक्ति का उल्लेख किया था. हालांकि मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने विचार-विमर्श के विषयों को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया है. सिर्फ अंतिम निर्णय को ही सार्वजनिक किया जाता है.
रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात
उल्लेखनीय है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ कुछ मुद्दे पर असहमति को लेकर आज तक कभी भी इस्तेमाल नहीं किए गए अधिकार का जिक्र किया था. मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश देने का उल्लेख किया. रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात केंद्र सरकार को यह विशेषाधिकार प्रदान करती है कि वह केंद्रीय बैंक के असहमत होने की स्थिति में सार्वजनिक हित को देखते हुए गवर्नर को निर्देशित कर सकती है.
Source : News Nation Bureau