सरकारी बैंकों को बंद किए जाने की अफवाह को खारिज करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साफ किया है कि किसी सार्वजनिक बैंक को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता।
आरबीआई का बड़े सरकारी स्वामित्व वाले बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ 'शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई' (पीसीए) शुरू करने के फैसले ने ऐसी अफवाहों को ज़ोर दिया कि सरकार कुछ बैंकों को बंद कर सकती है।
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि उसके सामने कुछ ऐसी 'गलत तरीके से प्रसारित' बातें सामने आईं है, जिसमें कहा जा रहा है कि पीसीए के तहत आने के चलते कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सरकार बंद करने जा रही है।
केंद्र सरकार ने भी ऐसी अफवाहों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि उसकी योजना सार्वजनिक बैंकों को मजबूत करने की है।
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वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने ट्वीट कर कहा, 'किसी भी बैंक को बंद करने का कोई प्रश्न नहीं है। सरकार 2.11 लाख करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण योजना बनाई है। ऐसी किसी अफवाह पर भरोसा न करें। रीकैप, रिफॉर्म रोडमैप के चलते सरकार पीएसबी (पब्लिक सेक्टर बैंकों)को मजबूती से ट्रैक पर ला रही है।'
रिजर्व बैंक ने अपनी ओर से यह साफ किया कि, 'पीसीए का उद्देश्य आम जनता के लिए बैंकों के सामान्य संचालन को रोकने का नहीं है।'
बता दें कि केंद्रीय बैंक ने जून में भी इसी तरह का स्पष्टीकरण जारी किया था। इसमें जोर दिया गया कि पीसीए फ्रेमवर्क दिसंबर 2002 से शुरू किया गया है और 13 अप्रैल, 2017 को जारी दिशानिर्देश केवल पहले से जारी आदेश का संशोधित संस्करण हैं।
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बैंक ऑफ इंडिया के अलावा, आरबीआई ने अन्य सरकारी बैंकों जैसे आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज़ बैक और यूको बैंक के खिलाफ भी इसी तरह की कार्यवाही शुरू कर दी है।
आरबीआई ने बताया कि इसी फ्रेमवर्क के तहत बैंकों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं।
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Source : News Nation Bureau