रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आम बैकों में कुछ वर्गों के लिए इंटरेस्ट फ्री बैकिंग शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। केंद्र और आरबीआई लंबे समय से देश में इस्लामिक बैंकिंग की संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य समाज के उन लोगों को बैंकिंग से जोड़ना है जो धार्मिक कारण से अभी तक इससे अलग हैं।
इस्लामिक और शरिया बैंकिंग वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत मूल पैसे पर कोई ब्याज नहीं लगाया जाता। इस्लाम में ब्याज लेने या देने की मनाही है। इस्लामिक बैंकिग की शुरुआत करने के लिए आरबीआई ने वित्त मंत्री को एक रिपोर्ट भी भेजी है। अगर इस्लामिक बैंकिंग को शुरू करने पर कोई फैसला होता है तो आरबीआई इसे लागू करने के दूसरे पहलूओं पर काम करना शुरू करेगी।
बता दें कि कुछ महीनों पहले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सालाना रिपोर्ट में इंटरेस्ट फ्री बैंकिंग का प्रपोजल दिया था। इस प्रपोजल में RBI ने अपने पहले के स्टैंड में परिवर्तन किया है जिसमें कहा गया था कि इस्लामिक फाइनेंस नॉन बैंकिंग चैनलों जैसे कि इंवेस्टमेंट फंड्स या फिर कॉपरेटिव्स की ओर ऑफर किया जा सकता है। अब हालांकि, RBI पुख्ता तौर पर इस ओर कदम आगे बढ़ा रहा है।
RBI ने वित्त मंत्रालय को एक खत लिखकर बताया है, 'भारतीय बैंकों को इस तरह की बैंकिंग में कोई अनुभव नहीं है लेकिन छोटे स्तर पर भारत में इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत की जा सकती है। शुरुआत में उन प्रोडक्ट्स को लेना चाहिेए जो हमारी आम बैंकिंग से मिलते जुलते हों। इसके बाद कुछ और अनुभव के आधार पर दूसरे चरण में कदम रखा जा सकता है।'
कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि दुनिया भर में जारी आर्थिक संकट के दौर में तमाम देशों में इस्लामिक बैंकिंग में बढ़ोतरी देखी गई। 2008 की मंदी के बाद फाइनेंशल सेक्टर में सुधार को लेकर पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने भी देश में इंटरेस्ट फ्री बैंकिग प्रणाली पर विचार करने का सुझाव दिया था।
HIGHLIGHTS
- RBI का इंटरेस्ट फ्री बैंकिग शुरू करने का प्रस्ताव
- धर्म के कारण जो बैंकिंग से दूर हैं, उन्हें जोड़ने की कोशिश
Source : News Nation Bureau