RBI Meeting Today: रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने कहा है कि लिक्विडिटी पर कोरोना वायरस के असर की समीक्षा करेंगे. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए Continuity Plan जारी की है. COVID19 को देखते हुए बैंक रणनीति भी बनाएंगे. RBI का कहना है कि मौजूदा हालात की निगरानी के लिए क्विक रिस्पॉन्स टीम बनाई जाएगी. रिजर्व बैंक ने डिजिटल बैंकिंग (Digital Banking) को बढ़ावा देने के लिए निर्देश दिए हैं. साथ ही सभी बैंक बैलेंस शीट और लिक्विडिटी की समीक्षा भी करेंगे.
बुधवार से यस बैंक से कैश निकालने की सीमा खत्म
रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि बुधवार से यस बैंक से कैश निकालने की सीमा को खत्म कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यस बैंक के मामले में रिजर्व बैंक और सरकार ने सही कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि यस बैंक के खाताधारकों का पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है. 26 मार्च से यस बैंक का नया बोर्ड कामकाज संभाल लेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर पूरी तरह से सुरक्षित है.
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कोरोना वायरस का ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट पर नकारात्मक असर
शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के वित्तीय बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायस मानवीय त्रासदी बनता जा रहा है. वायरस ने कई देशों को अपने चपेट में ले लिया है. इस वायरस का दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ा है और भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूता नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से भारत के ग्रोथ में धीमापन संभव है. वायरस का टूरिज्म और एविएशन सेक्टर पर ज्यादा असर पड़ा है. उनका कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ 0.4-1.5 फीसदी तक घट सकती है.
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) समेत दुनिया के कई सेंट्रल बैंक दरों में कर रहे हैं कटौती
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से अर्थव्यवस्था (Economy) पर पड़ने वाले असर को दूर करने तथा निवेशकों का भरोसा कायम रखने के लिये रविवार को नीतिगत ब्याज दर (Interest Rate) में एक प्रतिशत की बड़ी कटौती कर के इसे करीब करीब शून्य प्रतिशत कर दिया है. इसके अलावा उसने 700 अरब डॉलर के बॉन्ड खरीदने का भी निर्णय लिया है.
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फेडरल रिजर्व अल्पकालिक धन के लिए ब्याज दर अब 0-0.25% के स्तर पर आ गयी है. अमेरिका दो सप्ताह में नीतिगत ब्याज दरों में कुल मिला कर डेढ़ प्रतिशत की कमी करने के साथ ऋण के लिए धन की उपलब्धता बढाने के कई उपाय कर चुका है. फेड के अलावा इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूरोपीय यूनियन भी ब्याज दरों में कटौती करने की राह पर चल रहे हैं.