Recession: नए साल की शुरुआत के साथ के ही इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की मंदी को लेकर चेतावनी हर किसी की चिंता बढ़ा रही है. ग्लोबल इकॉनमी पर नजर रखने वाली संस्था आईएमएफ की ओर से साफ कहा गया है कि आने वाले दौर में मंदी का असर दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी को झेलना पड़ेगा. हालांकि बीते साल के अंतिम महीनों से ही मंदी की आहट समय के साथ तेज हो रही है. आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) की नई चेतावनी आपकी भी चिंता बढ़ा सकती है.
क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने हाल ही के एक इंटरव्यू में कहा है कि मंदी का दौर विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए मुश्किल भरा होगा. इसमें अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और चीन समेत कई अर्थव्यवस्थाएं शामिल रहेंगी. हालांकि क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने भारत का नाम लेकर कोई बात नहीं कही है लेकिन माना जा रहा है कि दुनिया भर के लिए आने वाली मंदी का असर देश में भी देखा जा सकता है.
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क्या है मंदी इससे भारत कैसे होगा प्रभावित
मंदी का अर्थ किसी भी अर्थव्यस्था के ठप होने से समझा जा सकता है. टेक्निकल टर्म में जब किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाहियों यानि 6 महीने तक गिरती है तो इसे आर्थिक मंदी का दौर माना जाता है. आर्थिक मंदी के दौर में उत्पादन और ओद्योगिक गतिविधियां कम होने लगती हैं जिसका सीधा असर बेरोजगारी और महंगाई के रूप में देखा जाता है.
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विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का असर देखा जाता है तो विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था यानि भारत पर भी इसका असर देखने को मिलेगा. इतिहास के पन्नों में साल 1930 में आई महामंदी का जिक्र मिलता है. जिसका असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिला था. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी इस महामंदी के प्रकोप से उभरने में करीब 1 दशक का लंबा समय लगा था.
किन कारणों से लगातार बढ़ रहा संकट
मंदी का कारण चीन में लगातार बढ़ रहा कोरोना माना जा सकता है. जिसकी वजह से व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है. इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ा है. वहीं दूसरे कारणों में बैंकों द्वारा ब्याज दर को बढ़ाया जाना और रूस- यूक्रेन युद्ध से मची ताबाही को शामिल किया जा सकता है. माना जा रहा है कि मंदी के दौर से सबसे ज्यादा प्रभावित पड़ोसी देश चीन होगा. जिसका व्यापक असर वैश्विक स्तर पर भी देखा जाएगा.
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Source : News Nation Bureau