लाइट घर को सुंदर और आकर्षक बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाती है. सुंदर लाइट घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाएं रखने में सबसे खास होती है. साथ ही समझदारी से लगाई गई लाइट बिजली और पैसा दोनों बचाती है, इसलिए जरूरी है कि लाइट लगाने के पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाए. जिस तरह लोग ऑफिस में ऐसा माहौल चाहते हैं, जहां ध्यान लगाकर काम हो सके, उसी तरह घर में लोग शांति और आराम की इच्छा रखते हैं.
साया होम्स के डायरेक्टर मनोज जैन ने घर में लाइट लगाने के पहले ध्यान में रखने वाली बातों पर प्रकाश डालते हुए ये मुख्य बातें बताई :
प्राकृतिक रोशनी का सही मिश्रण
घरों को हमेशा से ही वास्तु और योजना से ही बनाया जाता है और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि धूप व हवा सही तरीके से घर में आएं. घर के अंदर लाइट लगाने से पहले इस बात को समझ लेना चाहिए कि बाहर से आने वाली धूप या रोशनी किस कमरे में और किस तरफ से आती है. साथ ही मौसम के अनुसार धूप तेज या धीमी हो जाती है तो पर्दो का रंग उसी अनुसार होना चहिए ताकि प्राकृतिक रोशनी का आप अधिकतम उपयोग कर सकें.
संतुलित लाइट का करें इतेमाल
किसी भी कमरे में जरूरत से ज्यादा या कम लाइट उत्तीर्ण नहीं मानी जाती है. ये न केवल कीमत बढ़ाती है, बल्कि आंखों पर भी खासा प्रभाव डालती है. उदाहरण के तौर पर किचन, बेडरूम, स्टडी रूम आदि जगहों पर 300 से 400 लक्स लेवल की लाइट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. सबसे बेहतर है कि एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जाए, इससे बिजली की बचत और संतुलित प्रकाश तो होता ही है, साथ ही दीवार और फर्नीचर का रंग खुल के सामने भी आता है.
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रंग और वातावरण
आजकल बाजार में हर रंग और साइज की लाइट मौजूद है. लोग पहले दीवारों का रंग तय करते हैं और लाइट को सबसे आखरी में लगाते हैं, बल्कि यह दोनों साथ में होना चाहिए, ताकि न केवल बिजली की बचत हो सके पर साथ ही घर की खूबसूरती भी निखरे. आप चाहें तो 'सरकाडीयन फ्रेंडली' लाइट भी लगा सकते हैं, जो कमरे के तापमान और दिन के समय के हिसाब से खुद ही संयोजित हो जाती है. हर कमरे के वातावरण और रंग को ध्यान में रख कर ही लाइट लगाने की जगह, चमक और प्रकार चुना जाना चाहिए.
इको फ्रेंडली लाइट का उपयोग
बदलते समय के साथ अब घरों में ही लोग इको फ्रेंडली लाइट का इस्तेमाल करने लगे हैं. पहले बल्ब और अब आधुनिक तकनीक से बनी एलईडी लाइट को लोगों ने अपनाया है. यह बदलते उपकरण न केवल बिजली बचाने में समर्थ होते हैं, बल्कि कार्बन भी कम छोड़ते है. चूंकि यह लंबे समय तक चलती है तो कचड़े में भी कम फेंकना पड़ता है.
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ऐसी लाइट का न करें इस्तेमाल
लोग रंगीन और सस्ती लाइट लेना ज्यादा पसंद करते हैं पर इनसे खरीदने का खर्चा तो कम आता है, लेकिन बिजली का बिल बड़ा ही रहता है. पोर्च, मंदिर आदि जगहों पर रंगीन लाइट या जीरो बल्ब का इस्तेमाल किया जा सकता है, पर इनको किसी भी कमरे और घर के और हिस्से में नहीं लगाना चाहिए. सफेद रंग की रोशनी से घर में शांति होने के साथ-साथ वातावरण ठंडा और खुशनुमा भी रखता है.
Source : IANS