भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आईडीएफसी को आईडीएफसी फस्र्ट बैंक से बाहर निकलने की अनुमति दे दी है।
बीएसई को दी गई एक नियामक फाइलिंग में आईडीएफसी ने कहा कि आरबीआई ने 20 जुलाई को स्पष्ट किया कि 5 साल की लॉक-इन अवधि समाप्त होने के बाद, आईडीएफसी लिमिटेड आईडीएफसी फस्र्ट बैंक लिमिटेड के प्रमोटर के रूप में बाहर निकल सकता है।
तदनुसार, कंपनी अब आईडीएफसी फस्र्ट बैंक के प्रमोटर के रूप में बाहर निकल सकती है, क्योंकि पांच साल की लॉक-इन अवधि समाप्त हो गई है।
दरअसल आरबीआई के नियमों के अनुसार, गैर-ऑपरेटिव वित्तीय होल्डिंग कंपनी, जो बैंक की प्रमोटर है, की शेयरधारिता बैंक की चुकता वोटिंग इक्विटी पूंजी का कम से कम 40 प्रतिशत होनी चाहिए, जो कि बैंक के कारोबार के शुरू होने की तारीख से 5 साल की अवधि के लिए लॉक हो जाएगी।
आईडीएफसी बैंक को आरबीआई द्वारा 2014 में बंधन बैंक के साथ लाइसेंस दिया गया था। साल 2018 में आईडीएफसी बैंक लिमिटेड और कैपिटल फस्र्ट लिमिटेड ने घोषणा की थी कि उन्होंने आईडीएफसी फस्र्ट बैंक बनने के लिए विलय कर लिया है।
केएस लीगल एंड एसोसिएट्स में मैनेजिंग पार्टनर सोनम चांदवानी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, लॉक-इन अवधि के बाद, आरबीआई ने आईडीएफसी फस्र्ट बैंक के प्रमोटर के रूप में आईडीएफसी को वापस लेने की इजाजत दी है। उपरोक्त स्पष्टीकरण संभावित रूप से रिवर्स विलय का कारण बन सकता है, जो शेयरधारक मूल्य में वृद्धि करके आईडीएफसी लिमिटेड शेयरधारकों के लिए फायदेमंद होगा।
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Source : IANS