रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिल्ली मेट्रो के खिलाफ आर्बिट्रेशन में सफलता हाथ लगी है। मामले की मध्यस्थता बाद कंपनी को 2,950 करोड़ रुपये का मुआवजा मिल सकता है।
दिल्ली मेट्रो ने प्रोजेक्ट का कंसेशन अग्रीमेंट रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद दोनों कंपनियों के बीच मध्यस्थता की शुरुआत हुई थी। मामला सब्सिडियरी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) से जुड़ा हुआ है।
रिलायंस इन्फ्रा के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर ललित जालान ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, 'हम इस नतीजे से खुश हैं। यहां तक कि अगर डीएमआरसी इसे हाईकोर्ट में भी चुनौती देती है तो भी उन्हें 75 फीसदी रकम देनी पड़ेगी जिससे एसपीवी (स्पेशल परपज व्हीकल) को कर्ज चुकाने में मदद मिलेगी और साथ ही इससे पेरेंट कंपनी पर भी कर्ज का बोझ कम होगा।'
आर्बिट्रेशन में मिली जीत के बाद अनिल अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने गुरुवार को एक स्टेटमेंट जारी कर मुआवजे के बारे में बताया। कंपनी को यह मुआवजा प्रोजेक्ट का कंसेशन अग्रीमेंट रद्द किए जाने के बदले में मिलेगा।
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राजधानी में मेट्रो एक्सप्रेस प्रोजेक्ट को बनाने और चलाने का कॉन्ट्रैक्ट रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिया गया था। जिसके बाद डीएमआरसी ने 2012 में कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया था।
डीएमआरसी ने रद्द करने का कारण बताया था कि रिलायंस ने प्रॉजेक्ट के सिविल स्ट्रक्चर में आई खामियों को दूर करने में नाकाम रही है। कंपनी ने बाद में इस पर मुआवजे की मांग की और यह मामला एक आर्बिट्रेशन के पास चला गया।
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सूत्रों के मुताबिक, डीएएमईपीएल को अगस्त 2013 से इस रकम पर ब्याज भी मिलेगा। इस तरह से कंपनी को मिलने वाली मुआवजे की रकम बढ़कर 4,450 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
एसपीवी को लेकर सरकार ने 2016 में एक गाइडलाइन जारी किया था जिसमें कहा था कि पब्लिक सेक्टर कंपनियों को आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का 75 फीसदी हिस्सा देना होगा, भले ही वे इस मामले को ऊंचे कोर्ट में इस फैसले को चुनौती क्यों न दे रही हों।
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Source : News Nation Bureau