चालू वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है। केंद्रीय बैंक के अनुसार कंपनियों के बेहतर वित्तीय परिणाम तथा गांवों में अच्छी मांग रहने की उम्मीद है। हालांकि घरेलू निर्यातकों के लिये वैश्विक व्यापार तनाव को लेकर चिंता जतायी गयी है।
आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने गौर किया है कि खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि लगातार तीसरे महीने जारी रही है।
तीन दिन चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया है कि अबतक मानसून की प्रगति तथा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में सामान्य बढ़ोतरी के मुकाबले तीव्र वृद्धि से किसानों की आय बढ़ेगी और अंतत: गांवों में मांग बढ़ेगी।
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केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘कंपनियों खासकर रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली इकाइयों के बेहतर वित्तीय परिणाम भी ग्रामीण मांग में वृद्धि के सूचक हैं।'
केंद्रीय बैंक ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वद्धि दर 2018-19 में 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह अनुमानित दर जून में जारी बयान के अनुरूप ही है। शीर्ष बैंक के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में वृद्धि दर 7.5 से 7.6 प्रतिशत तथा अक्तूबर-मार्च में 7.3-7.4 प्रतिशत रह सकती है।
इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
शीर्ष बैंक ने कहा कि निवेश गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं। हालांकि हाल की अवधि में वित्तीय स्थिति थोड़ी तंग हुई है। मौद्रिक नीति बयान के अनुसार हाल के महीनों में एफडीआई प्रवाह में वृद्धि तथा घरेलू पूंजी बाजार में लगातार तेजी की स्थिति निवेश गतिविधियों के लिहाज से बेहतर है।
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Source : News Nation Bureau