Advertisment

खाद्य वस्तुओं की महंगाई ने आम आदमी का जीना किया मुश्किल, जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति में उछाल

Coronavirus (Covid-19): राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार जून महीने में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation Growth) का शुरुआती आंकड़ा 6.09 प्रतिशत से संशोधित होकर 6.23 प्रतिशत पर पहुंच गया.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
INFLATION

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI) ( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

Coronavirus (Covid-19): सब्जी, दाल, मांस और मछली जैसे खाने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 6.93 प्रतिशत पर पहुंच गयी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI) आधारित महंगाई दर एक साल पहले जुलाई में 3.15 प्रतिशत थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार जून महीने में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation Growth) का शुरुआती आंकड़ा 6.09 प्रतिशत से संशोधित होकर 6.23 प्रतिशत पर पहुंच गया.

यह भी पढ़ें: नौकरीपेशा लोगों को मिल सकती है बड़ी खुशखबरी, ग्रेच्युटी के नियमों में हो सकता है बदलाव

खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2019 से ही 4 प्रतिशत से ऊपर बरकरार
सरकार ने रिजर्व बैंक (RBI) को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी है. चार प्रतिशत से ऊपर में छह प्रतिशत तक और नीचे में दो प्रतिशत का दायरा तय किया गया है. खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2019 से ही 4 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह की गई द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये नीतिगत दर को यथावत रखा. रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है. एनएसओ के आंकड़े के अनुसार जुलाई महीने में ग्रामीण भारत में मुद्रास्फीति 7.04 प्रतिशत रही जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 6.84 प्रतिशत थी. इस प्रकार, संयुक्त रूप से महंगाई दर 6.93 प्रतिशत रही. मांस और मछली की महंगाई दर जुलाई महीने में पिछले साल के इसी माह के मुकाबले 18.81 प्रतिशत रही.

यह भी पढ़ें: राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है ईमानदार टैक्सपेयर: PM नरेंद्र मोदी 

खाद्य वस्तुओं की सालाना मुद्रास्फीति जुलाई महीने में 9.62 प्रतिशत
आंकड़ों के अनुसार तेल और वसा की मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में 12.41 प्रतिशत और सब्जी की 11.29 प्रतिशत रही. खाद्य वस्तुओं की सालाना मुद्रास्फीति जुलाई महीने में 9.62 प्रतिशत रही. ईंधन और प्रकाश खंड में सीपीआई आधारित मुद्रास्फुीति 2.8 प्रतिशत रही। कोविड-19 संबंधित कई पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी गयी है और कई गैर-जरूरी गतिविधियां भी शुरू हुई हैं. इससे कीमत संबंधित आंकड़ों की उपलब्धता बढ़ी है. आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार एनएसओ ने जुलाई 2020 के दौरान 1,054 (95 प्रतिशत) शहरी बाजारों से और 1,089 (92 प्रतिशत) कीमतें गांवों से ली. सामान्य तौर पर कीमत आंकड़ा 1,114 शहरी बाजारों से और चुने गये 1,181 ग्रामीण क्षेत्रों से लिया जाता है. ये आंकड़े सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एनएसओ के क्षेत्रीय परिचालन इकाई के क्षेत्रीय कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से साप्ताहिक रोस्टर के आधार पर लेते हैं. खुदरा महंगाई दर पर अपनी प्रतिक्रिया में इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति उम्मीद के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ी है. इसका कारण प्रमुख वस्तुओं के ऊंचे दाम हैं, जो अभी भी नई मांग और आपूर्ति गणित से स्वयं को समायोजित कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: जुलाई में ज्वैलरी के एक्सपोर्ट में भारी गिरावट, जानिए क्या रही वजह

उन्होंने कहा कि संभावना के अनुरूप भारी बारिश और स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ के बीच सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं। इससे खाद्य महंगाई दर जुलाई, 2020 में बढ़ी. आने वाले महीने में इसमें नरमी की उम्मीद है. नायर ने कहा कि कच्चे तेल और खुदरा ईंधन के दाम में हाल के सप्ताह में स्थिरता आने से बढ़ती सीपीआई मुद्रास्फीति पर दबाव कम होगा. एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि मुद्रास्फीति की चिंता से नीतिगत दर में कटौती में देरी हो सकती है और इससे गतिहीन मुद्रास्फीति (बेरोजगारी और स्थिर मांग के साथ ऊंची महंगाई दर) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. उन्होंने कहा कि इसका निकट भविष्य में बांड रिटर्न पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा कि मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई से सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य दायरे से ऊंची बनी हुई है. उन्होंने कहा कि हालांकि, देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ में ढील दी गयी है लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी चिंता का कारण है। इसकी वजह कई जगह स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन का लगाया जाना है.

covid-19 coronavirus कोरोनावायरस कोविड-19 cpi-सांसद Inflation Retail Inflation Growth Coronavirus Pandemic Coronavirus Epidemic Retail Inflation Inflation Growth मुद्रास्फीति महंगाई दर कोरोना वायरस महामारी रिटेल महंगाई खुदरा महंगाई India CPI Data CPI News
Advertisment
Advertisment
Advertisment