भारतीय स्टेट बैंक (State Bank) की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति अब दिसंबर के बाद ही चार प्रतिशत से नीचे आएगी. रिपोर्ट के अनुसार इसमें इस समय आया उछाल कोविड के कारण आपूर्ति की कड़ियों के टूटने और सरकार की ओर से की गयी भारी खरीद के चलते है. एसबीआई इकोरैप के ताजा संस्करण में कहा गया है कि अगस्त का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा सात प्रतिशत या उससे ऊपर बना रह सकता है. यह आंकड़ा सोमवार को आएगा.
यह भी पढ़ें: शेयर बाजार में Zomoto से मिलेगा कमाई का मौका, जानें कब आ रहा है IPO
जुलाई में खुदरा महंगाई दर 6.93 फीसदी रही
जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.93 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा 3.15 प्रतिशत था. मुद्रास्फीति में यह तेजी खास कर अनाज, दाल-सब्जियों और मांस-मछली के दाम बढ़ने की वजह से है. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें लगता है कि मुद्रास्फीति का अगस्त का आंकड़ा सात प्रतिशत या उससे ऊपर रहेगा और यदि तुलनात्मक आधार का प्रभाव ही इसका प्राथमिक कारण है तो मुद्रास्फीति संभवत: दिसंबर या उसके बाद ही चार प्रतिशत से नीचे दिखेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड- 19 का संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में जिस तरह बढ रहा है उससे यह मानना कठिन है कि आपूर्ति की कड़ियां जल्दी फिर से सामान्य होंगी.
यह भी पढ़ें: रिलायंस रिटेल में हिस्सेदारी खरीद सकती है अमेजन, सूत्रों के हवाले से खबर
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में मुद्रास्फीति बढ़ने का ही खतरा है. गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को हद से हद दो प्रतिशत घट बढ़ के साथ चार प्रतिशत के आस पास रखने की जिम्मेदारी दी गयी है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुद्रास्फीति के परिदृश्य को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में नीतिगत ब्याज दर में और कमी की उम्मीद कम ही है. अगर की भी गयी तो यह ज्यादा से ज्यादा 0.25 प्रतिशत तक हो सकती है वह भी फरवरी की बैठक में. फरवरी में मौद्रिक नीति समिति के पास मुद्रास्फीति के जो आंकड़े होंगे वे केवल दिसंबर तक के होंगे.